पूर्णिया, किशन भारद्वाज
छठ के महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से हो गई है। छठ के व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। मान्यता है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती हैं, छठी माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। छठ पूजा में सूर्य देव का पूजन किया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण, खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है। जिले के बैसा प्रखंड अंतर्गत रौटा पंचायत में महापर्व छठ के दूसरे दिन आज खरना की पूजा पूरे नियम के साथ लोगों ने अपने अपने घरों में की।
खरना का महत्व
खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं, इस दिन छठी माता का प्रसाद तैयार किया जाता है, इस दिन गुड़ की खीर बनती है, खास बात यह है कि वह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है, प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं, उसके बाद इसे बांटा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है, इसके अगले दिन सूर्यास्त के समय व्रती लोग नदी और घाटों पर पहुंच जाते हैं, जहां डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इस दौरान सूर्यदेव को जल और दूध से अर्घ्य देते है, साथ ही इस दिन व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती हैं।