- जिले के रुपौली एवं भवानीपुर में इजिचेक उपकरण को मॉडल के रूप में अपनाया गया: सिविल सर्जन
- समय पर बीमारियों की जानकारी मिलने से उपचार संभव: स्वास्थ्य विशेषज्ञ
- डोर टू डोर भ्रमण कर आसानी से जांच करने में मिलेगी सहूलियत: दीप्ति सुंदर मोहंती
- प्रारंभिक चरण में बीमारियों की जानकारी को लेकर शुरू किया गया स्टार्टअप: पार्थ प्रतिम दास
पूर्णिया : स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ के सहयोग से इजिचेक, एनीमिया स्क्रीनिंग उपकरण को जिले के दो प्रखंड रुपौली एवं भवानीपुर में मॉडल के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। जिससे संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित सभागार में किया गया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीएमएनई आलोक कुमार, यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ शंकर रेड्डी, स्थानीय सलाहकार शिव शेखर आनंद, राज कुमार, क्लिनों हेल्थ इनोवेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीप्ती सुंदर मोहंती, इजीरेक्स के संस्थापक पार्थ प्रतिम दास महापात्रो, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी सहित रुपौली एवं भवानीपुर स्वास्थ्य केंद्र के एमओआईसी, बीएचएम, सीएचओ, एएनएम, एलटी, डेटा ऑपरेटर सहित कई अन्य उपस्थित थे।
- जिले के रुपौली एवं भवानीपुर में इजिचेक को मॉडल के रूप में अपनाया गया: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने कहा वर्तमान समय में 45 से अधिक उम्र वाले प्रत्येक 11 में से एक वयस्क को किडनी से संबंधित पुरानी बीमारी होती है। इसके साथ ही 45 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 80 प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। जबकिं प्रत्येक 3 में से 2 महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम आंकी गई है। हालांकि शुरुआती दौर में इस तरह की बीमारियों की सही जानकारी मिल जाए तो यह चिकित्सीय क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। अगर यह उपकरण कारगर होता है तो इसे पूरे जिले में लागू किया जाएगा।
- समय पर बीमारियों की जानकारी मिलने से उपचार संभव: स्वास्थ्य विशेषज्ञ
यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ शंकर रेड्डी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ ने इजिचेक के साथ समन्वय स्थापित कर एक तरह से नया उपकरण को बिहार में पहली बार प्रयोग में लाने जा रही है। जो पूर्णिया सहित पूरे राज्य के लिए मॉडल के रूप में देखने को मिलेगा। इस उपकरण के माध्यम से क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं में एनीमिया, किशोरियों में खून की कमी, मधुमेह की जांच को वग़ैर रक्त के नमूने लिए मात्र पांच से दस मिनट के अंदर आसानी से किया जा सकता है। इससे अस्पताल आने वाले मरीज़ों को समय रहते विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जानकारी मिल जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की मंशा यही है कि समय के साथ पैसे की बचत कर आसानी से बीमारियों का पता लगाकर उसका उपचार किया जा सके।
- डोर टू डोर भ्रमण कर आसानी से जांच करने में मिलेगी सहूलियत: दीप्ति सुंदर मोहंती
क्लिनों हेल्थ इनोवेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीप्ती सुंदर मोहंती ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों सहित बड़े बुजुर्ग किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहते हैं। जिस कारण समय एवं पैसे की अत्यधिक बोझ झेलना पड़ता है। इसी को सूक्ष्म रूप में इस उपकरण के माध्यम से समय रहते बगैर खून के नमूने लिए हिमोग्लोबिन जांच यंत्र के माध्यम से एनीमिया एवं मधुमेह की जांच आसानी से एएनएम, आशा कार्यकर्ता या आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान इजिचेक उपकरण से मात्र 5 से 10 मिनट के अंदर जांच कर उसका उपचार के लिए उचित परामर्श दिया जा सकता है।
- प्रारंभिक चरण में बीमारियों की जानकारी को लेकर शुरू किया गया स्टार्टअप: पार्थ प्रतिम दास
इजीरेक्स के संस्थापक पार्थ प्रतिम दास महापात्रो ने बताया कि चैताली रॉय और सुदीप रॉय चौधरी के साथ मिलकर वर्ष 2018 में इसकी शुरूआत की गई हैं। इजीरेक्स का मतलब है “इजी फॉर प्रिस्क्रिप्शन” इससे शुरुआती चरण में प्राथमिक स्वास्थ्य मापदंडों की पहचान करने के लिए आसान और दर्द रहित लक्षण की जांच के बाद उचित समाधान किया जाता है। सबसे अहम बात यह है कि एक तरह से सबसे सहज एवं सुलभ तरीक़े से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लक्षण की जांच के बाद उक्त समस्याओं के समाधान को अधिक आकर्षक और सुलभ बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है।
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