पूर्णिया : पूर्णिया में हथकरघा संस्कृति को बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। जाने-माने फैशन सलाहकार मनीष रंजन के द्वारा शुरू किए गए स्टार्टअप हाउस ऑफ मैथिली के माध्यम से न सिर्फ महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है, बल्कि महिलाएं रोजगार पाकर आत्मनिर्भर भी बन रही हैं। हाउस ऑफ मैथिली के नाम से हैंडलूम से बनाए जा रहे कपड़े, उस पर की जा रही नक्काशी और चरखा चला रहे कामगार कहीं और के नहीं बल्कि पूर्णिया के रहने वाले हैं। हाउस ऑफ मैथिली के संचालक मनीष रंजन कहते हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों में बुनकरों से मिलने और उनके साथ मिलकर काम करने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि देश के कई हिस्सों में बिहार की महिलाएं भी बुनाई और कटिंग के काम में लगी हुई हैं। जो दैनिक वेतन भत्ते से बहुत खुश नहीं थे लिहाजा कोविड काल जब वह अपने गृह क्षेत्र पूर्णिया में बेहतर आजीविका की व्यवस्था के लिए हाउस ऑफ मैथिली की शुरुआत की और इस काम में कपरा मंत्रालय की समर्थ योजना का मनीष को साथ मिला। मनीष की माने तो अब कपड़ा मंत्रालय की समर्थ योजना के तहत पूर्णिया के महिलाओं को हाथ में बुनाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं जिन्हें तीन अलग-अलग ट्रेनों में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। जिससे पूर्णिया की महिलाओं को रोजगार का एक नया अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि हथकरघा निर्मित सामानों की मांग देश विदेश में है और बाजार की कोई कमी नहीं है।
कपड़ों पर पेंटिंग कर रही आर्या बताती हैं की साडी और विभिन्न कपड़ों पर पेंटिंग के माध्यम से नक्काशी करती हैं जबकि कई महिलाएं हाथों से अपनी कला का प्रदर्शन कर ना सिर्फ कपड़े की खूबसूरती बढ़ाती हैं बल्कि अच्छी आमदनी भी होती है। वही चरखा चलाने वाले मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि पहले पानीपत में चरखा चलाने का काम करते थे लेकिन अब घर में ही रोजगार मिल गया है। जिससे काफी खुश है। बहरहाल कपड़ा मंत्रालय की समर्थ योजना,सरकार का स्टार्टअप और मनीष की सच्ची ख़याईश ने यहाँ के महिलाओं और कामगारों को समर्थ बना दिया है की इनके बनाये हेंडलूम के उत्पाद अब देश के कोने कोने में भी तहलका मचा रहा है।