अररिया, प्रिंस(अन्ना राय): ARARIA NEWS अररिया को जिले का दर्जा मिले 34 वर्ष हो गए हैं। जिला बनने के बाद अररिया में कई भव्य सरकारी भवने भी बनी। कलेक्ट्रेट बना डीआरडीए सभा भवन बना एसडीओ कार्यालय बना पदाधिकारियों का बड़ा आवासीय भवन बनाया गया। इसके साथ अतिथि सदन भवन भी बनाया गया. लेकिन इतने वर्षों बाद भी डीएम और एसपी का आवास नहीं बन पाया है। इसकी वजह से डीएम पथ निर्माण विभाग और एसपी सिंचाई विभाग के डाक बंगले में रह रहे हैं आपको बता दें कि 1990 में अररिया और किशनगंज पूर्णिया जिले से कटकर अलग जिला का रूप लिया था। जिला बनने के बाद कई बदलाव आए जिले का व्यवहार न्यायालय का भव्य भवन बन गया। यहां और भी कई बड़े भवन का निर्माण जिला बनने के बाद से होता रहा है। लेकिन दुर्भाग्य है कि जिले के इतने बड़े पदाधिकारी आज भी दूसरे विभाग के मकान में रह रहे हैं। एक वक्त था जब पूर्णिया जिले का अररिया एक अनुमंडल हुआ करता था। लोगों को 100 से डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी तय कर किसी भी सरकारी कार्य के लिए जिला मुख्यालय पूर्णिया जाना पड़ता था। इसमें समाहरणालय से जुड़े और न्यायालय से जुड़ा मुकदमा हुआ करता था। लोगों को पूर्णिया जाने में आने में खर्च के साथ समय भी काफी लगता था। इसके लिए अररिया के लोगों ने जिला बनाओ आंदोलन की शुरूआत की। अररिया जिले के विभिन्न समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और कई वर्षों तक जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे।
तब जाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अररिया को जिला बनाने की घोषणा की और 1990 में अररिया को जिले का दर्जा दे दिया गया। जिला बनते ही फारबिसगंज को अनुमंडल बना दिया गया। इस तरह से अररिया जिले में दो अनुमंडल और 9 प्रखंड हो गए। लोगों को इसका फायदा भी मिलने लगा। अब लगभग सारे कार्य जिले में ही होने लगे।अररिया के लोगों ने जो आंदोलन किया था उसका सपना साकार हो गया। लेकिन भवनों की कमी से अलग-अलग जगह पर सारे विभागीय कार्यालय चलने लगे। वर्तमान में जो कलेक्ट्रेट है। उसके निर्माण में भी काफी लंबा समय लगा और कार्य पूर्ण होते ही डीएम एसपी सहित सभी विभाग के अधिकारी इस नए भवन में बैठना शुरू कर दिए। लेकिन डीएम एसपी के आवास के लिए कोई जगह नहीं होने के कारण समाहरणालय के ठीक सामने पथ निर्माण विभाग का एक डाक बंगला था उसमें डीएम का आवास बना दिया गया। साथ ही एसपी के लिए सिंचाई विभाग की कॉलोनी में बना एक डाक बंगला था, वहां उनके लिए तत्कालीन रूप से आवास बना दिया गया। जिला बनने के बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल और पदाधिकारी की नियुक्ति हुई, लेकिन उनके रहने के लिए भी कोई अस्थाई व्यवस्था नहीं थी। इसलिए तत्काल बाजार समिति के गोदाम में जवानों के लिए रहने की व्यवस्था कर दी गई और वहीं पुलिस लाइन बना दिया गया जो आज तक चला आ रहा है।
डीएम और एसपी के आवास के लिए तत्कालीन भवन निर्माण मंत्री तस्लीमुद्दीन ने जिला कृषि विभाग के खाली पड़े जमीन पर शिलान्यास भी किया था। कृषि विभाग की भूमि पर डीएम और एसपी के लिए खूबसूरत आवास की निर्माण कार्य होने को लेकर लोगों में उत्साह था कि यहां आवास बन जाने से आसपास का इलाके में शांति व्यवस्था रहेगी। लेकिन किन परिस्थितियों में वहां भावनाओं का निर्माण नहीं हो पाया। इसकी जानकारी आज तक लोगों को नहीं मिल पाई। वर्तमान में अररिया पुलिस लाइन के लिए अररिया प्रखंड के हडियाबाड़ा पंचायत में पुलिस लाइन भवन का निर्माण किया जा रहा है। वही, स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह से जिले की आबादी बढ़ रही है। उसके लिए सभी विभाग में जो भी भवन है उसकी आवश्यकता भी अधिक हो गई है। इसलिए अगर जिस भवन में डीएम और एसपी, डीएसपी रहते हैं वह खाली हो जाए तो उन जगहों पर उनका अपना डाक बंगला होगा और विभागीय अधिकारियों को भी कार्य करने में आसानी होगी। क्योंकि जिला स्तर का अतिथि सदन भी बन गया है। वहां लंबा चौड़ा परिसर भी है. लेकिन डीएम और एसपी के आवास के खाली नहीं होने के कारण यह जगह अब विभाग के हाथ में नहीं के बराबर है। लोगों का कहना है कि क्या वजह है कि सभी विभाग के बड़े-बड़े दफ्तर बन गए हैं। यहां तक के डिप्टी कलेक्टरों के लिए भी आवास का निर्माण हो गया है। लेकिन जिले के सबसे बड़े अधिकारी के लिए आज तक उनका निजी आवास नहीं होना एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है।