सहरसा, अजय कुमार: अंग्रेज द्वारा बनाये गए भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता की जानकारी देने हेतु सोमवार को सदर थाना में जागरूकता अभियान चलाया गया।इस अवसर पर शहर के जनप्रतिनिधि गणमान्य नागरिक एवं पुलिस पदाधिकारी मौजूद रहे। पुलिस अधीक्षक हिमांशु कुमार ने बताया कि भारतीय संसद से पारित तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होने जा रहे हैं। जिसमें मानव अधिकारों एवं मूल्यों को केंद्र में रखा गया है। नए कानून में अब भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संगीता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि इन कानून में दंड की जगह न्याय पर विशेष बल दिया गया है। न्याय पर केन्द्रित तीनों नए आपराधिक कानून को राज्य में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बिहार पुलिस पूरी तरह से तैयार है। राज्य के पच्चीस हजार से भी अधिक पुलिस पदाधिकारी एवं कर्मियों को नए कानूनों में हुए बड़े बदलावों से जुड़ी ट्रेनिंग दी जा चुकी है। साथ ही आम लोगों को भी वीडियोज, ग्राफिक्स, इंफोग्राफिक्स एवं अन्य माध्यमों से नए कानून के प्रति लगातार जागरुक कर इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि नए कानून में डिजिटल तौर पर एफआईआर, नोटिस,समन, ट्रायल, रिकॉर्ड, फॉरेंसिक, केस डायरी एवं बयान आदि को संग्रहित किया जाएगा। वही तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियो ग्राफी फोटोग्राफी के लिए भी बिहार पुलिस के सभी अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप और मोबाइल उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक थाना का नए उपकरणों के साथ आधुनिकीकरण किया जा रहा है। अब हर थाने में वर्क स्टेशन, डाटा सेंटर तथा अनुसंधान हाल रिकॉर्ड रूम और पूछताछ कक्ष का जल्दी निर्माण होगा। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि नागरिक एवं पीड़ित केंद्रित तीन नए आपराधिक कानून व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यह भारत द्वारा भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार संचालित होगी एवं इन कानूनों में समानता और निष्पक्षता के साथ न्याय पर बल दिया गया है। जिससे व्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ सभी के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित की जा सकें। पुलिस अधीक्षक हिमांशु ने इन नय कानून की विशेषताओं को बताते हुए कहा कि नागरिक घटनास्थल या उससे परे कहीं से भी प्राथमिक की दर्ज करा सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति दर्ज प्राथमिक की एक निशुल्क प्रति प्राप्त करने के हकदार हैं। पुलिस द्वारा पीड़ित को 90 दिन के अंदर जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना अनिवार्य है। महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जांच की जाएगी। साथ ही 7 दिनों के अंदर चिकित्सक उसकी मेडिकल रिपोर्ट भेजेंगे।वही अभियोजन पक्ष की मदद के लिए नागरिकों को खुद का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 396 एवं 397 में पीड़ित को मुआवजा और मुफ्त इलाज का अधिकार दिया गया है। वही धारा 398 के अंतर्गत गवाह संरक्षण योजना का प्रावधान है। केस वापसी के पहले न्यायालय को पीड़ित की बात सुनने का अधिकार दिया गया है। कोर्ट में आवेदन करने पर पीड़ितों को ऑर्डर की निशुल्क कॉपी प्राप्त करने का अधिकार मिला है।
साथ ही कानूनी जांच पूछताछ और मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयोजित करने का प्रावधान है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नए कानून के तहत न्याय प्रणाली में टेक्नोलॉजी पर जोर दिया गया है। जिसके अंतर्गत क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सभी चरणों का डिजिटल रूपांतरण किया गया है। जिसमें ई समन,ई नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्रस्तुत करना और ई ट्रायल शामिल है। पीड़ित अब ई बयान दे सकते हैं। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से गवाहों अभियुक्तों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति के लिए ही ई अपीरियंस की शुरुआत की गई है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध से निपटने के लिए नए आपराधिक कानून में अब 37 धाराओं को शामिल किया गया है।पीड़ित और अपराधी दोनों के संदर्भ में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने पर दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा मिलेगी। साथ ही झूठे वादे या नकली पहचान के आधार पर यौन शोषण करना अपराधिकृत माना जाएगा।वही चिकित्सकों के लिए 7 दिनों के अंदर बलात्कार पीडिता की मेडिकल रिपोर्ट जांच अधिकारी के पास भेजना अनिवार्य है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अपराध एवं दंड को नए तरीके से परिभाषित किया गया है। जिसके तहत छीना झपटी स्नैचिंग एक गंभीर और नंबैलेबल गैर जमानती अपराध है।उन्होंने कहा कि भारत की एकता अखंडता संप्रभुता सुरक्षा वह आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने या किसी समूह में आतंक फैलाने के लिए किए गए कृत्यों को आतंकवादी गतिविधि मानी जाएगी। उन्होंने बताया कि राजद्रोह की जगह देशद्रोह शब्द इस्तेमाल किया गया है जिसमें भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाली आपराधिक गतिविधि शामिल है।
वही मॉबलिंचिंग करने पर अब दोषियों को मृत्युदंड की सजा मिलेगी। नए कानून में संगठित अपराध को स्पष्ट रूप से प्रभावित परिभाषित किया गया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि त्वरित न्याय दिलाने के लिए भारतीय न्याय संहिता में एक तय समय सीमा के अंदर 45 धाराओं को जोड़ा गया है। किसी भी मामले पर पहली सुनवाई शुरू होने के 60 दिनों के अंदर आरोप तय किए जाएंगे।आरोप तय होने की 90 दिन बाद घोषित अपराधियों की अनुपस्थिति में भी कानूनी कार्यवाही शुरू हो जाएगी। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सभी पूछताछ और परीक्षण इलेक्ट्रॉनिक मोड में भी आयोजित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस नए कानून में पुलिस की जवाब देही और पारदर्शिता को प्रमुखता दिया गया है जिसके अंतर्गत कोई भी गिरफ्तारी ऐसी अपराध के मामलों में जो 3 वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय है और ऐसा व्यक्ति जो गंभीर बीमारी से पीड़ित है या 60 वर्ष से अधिक की आयु का है।ऐसे अधिकारी जो पुलिस उपाधीक्षक से नीचे की पंक्ति का ना हो कि पूर्व अनुमति के बिना नहीं की जाएगी। साथ ही गिरफ्तारी तलाशी जब्ती और जांच में पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने के लिए 20 से अधिक धाराएं शामिल की गई है।साथ ही असंज्ञेय मामलों में दैनिक डायरी रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को 15 दिनों के अंतराल पर भेजी जाएगी। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एनसीआरबी में एक मोबाइल एप एनसीआरबी अपराधिक कानूनों का संकलन लॉन्च किया है।इस ऐप से आप नए अपराधी कानून के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय गान गाकर समापन किया गया। इस मौके पर सदर थाना अध्यक्ष सुबोध कुमार,वार्ड पार्षद आशीष सिंह,मुकेश झा,कुश मोदी,टुनटुन शर्मा,दीपक कुमार,रेशमा शर्मा,टुस्सी कुमारी, रेखा कुमारी रिंकी कुमारी,मो मोइनुद्दीन राईन, संजू कुमारी,मो तारिक सहित वरीय पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिसकर्मी मौजूद रहे।