पटना: Bihar Reservation Policy बिहार में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। हालांकि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन राज्य की राजनीति में इस पर बहस जारी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और जदयू नेता व ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली है। तेजस्वी यादव ने केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वे आरक्षण की नई सीमा को लागू करने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजद ने जातिगत जनगणना के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया और महागठबंधन सरकार ने इसे पूरा किया। उन्होंने दावा किया कि नई आरक्षण सीमा के लागू न होने से पिछड़े, अति पिछड़े और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग नौकरियों से वंचित रह जाएंगे।
दूसरी ओर, मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी के आरोपों का करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच का परिणाम है। उन्होंने राजद पर पलटवार करते हुए कहा कि लालू यादव के 15 साल के शासनकाल में जाति आधारित गणना के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि राजद ने अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की कभी रक्षा नहीं की। यह विवाद बिहार में आरक्षण के मुद्दे की राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है। जबकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, राजनीतिक दल इसे अपने-अपने तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। आने वाले समय में यह मुद्दा राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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