पूर्णिया/रूपौली/अभय कुमार सिंह : पूर्व मंत्री सह विधायक बीमा भारती के विधायक पद से इस्तिफा देने से खाली हुई रूपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर 14 जून से नामांकन शुरू होनेवाला है । यहां सबसे बडा पेंच राजग एवं महागठबंधन को अपने-अपने प्रत्याशी देने में फंस गया लगता है ।
पूर्व में जीते हुए सभी पार्टियां अपना-अपना प्रत्याशी देने का दावा पेश कर रही है, वहीं अगर सही रूप से इस सीट पर गठबंधन द्वारा प्रत्याशी नहीं दिया गया तो, निश्चित रूप से बगावत भी देखा जा सकता है । यह बता दें कि इस विधानसभा क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी अब अस्तित्व में यहीं से 1952 में मोहितलाल पंडित एकबार, कांग्रेस से बृजबिहारी सिंह दो बार 1957 एवं 1962 में, आनंदी प्रसाद सिंह दो बार 1969 एवं 1972 में, दिनेश कुमार सिंह दो बार 1980 एवं 1985 में, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से छबिनाथ शर्मा एक बार 1967 में, बालकिशोर मंडल एक बार 1995 में, जनता पार्टी से शालिग्राम सिंह तोमर एक बार 1977 में, स्वतंत्र रूप सेे सरयुग मंडल एक बार 1990 में एवं बीमा भारती एक बार 2000 में चुनाव जीती हैं ।
जबकि लोजपा से शंकर सिंह एक बार 2005 में चुनाव जीते हैं । राजद से बीमा भारती एक बार 2005 में एवं जदयू में जाने के बाद बीमा भारती लगातार तीन बार 2010, 2015, एवं 2020 में चुनाव जीती हैं । इस तरह से देखा जाए तो लगभग सभी दलों ने इस विधानसभा सीट पर बाजी मारी है । इसबार राजग गठबंधन से जदयू एवं लोजपा में टकराव की संभावना है तथा इसमें बगावत भी हो सकता है ।
अगर जदयू से यहां प्रत्याशी दिया जाता है, तब यहां लोजपा के पूर्व विधायक बगावत पर उतर सकते हैं, क्योंकि एक बार छोड़ दें, वे हमेशा से ही लोजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडते आ रहे हैं । ठीक इसी तरह लोजपा यहां प्रत्याशी देता है, तब जदयू में बगावत हो सकता है, क्योंकि लगातार तीन बार जदयू का प्रत्याशी अपनी जीत दर्ज कराता आया है । दूसरी ओर महागठबंधन से यहां कांग्रेस, राजद, भाकपा में तकरार की संभावना दिख रही है, क्योंकि यहां इन तीनों पार्टियां पूर्व में अपना-अपना विधायक दे चूकी हैं तथा वे अपना-अपना दावा पेश कर रही हैं ।
इस परिस्थिति में अगर पिछले चुनाव के हिसाब से यह सीट भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के पक्ष में गया, तो यहां पूर्व विधायक सह मंत्री बीमा भारती, जो राजद में हैं, बगावत पर उतर सकती हैं । इसके अलावा कांग्रेस के प्रत्याशी भी बगावत कर सकते हैं । कुल मिलाकर इसबार का चुनाव काफी दिलचस्प होगा तथा सीट का बंटवारा भी आसान नहीं होगा । देखें कौन किस दल से बाजी मारता है तथा कौन बगावत करता है ।