अररिया : फारबिसगंज कॉलेज फारबिसगंज के कर्मचारियों और अनुकंपा धारी सहित विभिन्न कालेजों के लगभग 70 कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन और अनशन का कार्यक्रम जारी है। आन्दोलन के चौथे और अनशन के दूसरे दिन गुरुवार को कई संगठनों के लोग उपस्थित हुए। एक ओर सत्ता पक्ष के एमएलसी डॉक्टर संजीव कुमार सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे तो वहीं मुख्य अतिथि के रूप में बिहार प्रदेश विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर यादव और महासचिव राघवेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष, सचिव व संगठन मंत्री कामेश्वर सिंह, विश्वविद्यालय दरभंगा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष, सचिव एवं संगठन मंत्री मौलाना मजबूल हक, विश्वविद्यालय पटना कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सचिव तथा भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के अध्यक्ष, सचिव व संगठन मंत्री तथा बिहार राज्य आयशा के अध्यक्ष ने इस आंदोलन को और तीव्र गति प्रदान की। मंच संचालन का कार्य डॉक्टर बी के ओझा तथा विक्रम कुमार द्वारा किया गया। इस मौके पर सबसे पहले उपस्थित लोगों ने चीन की सीमा पर शहीद हुए वीर फौजी भाइयों की आत्मा की शांति हेतु श्रद्धांजलि दी और 2 मिनट का मौन रखा। प्रथम वक्ता के रूप में शिक्षक संघ के संयुक्त सचिव अभिषेक आनंद ने 49 फारबिसगंज कॉलेज के कर्मचारियों एवं 21 अनुकंपा से नियुक्त कर्मचारियों की व्यथा सुनाई उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इनका वेतन राज्य सरकार से आने के उपरांत अभी तक जारी नहीं किया गया है जबकि अनुकंपा कर्मी के वेतन हेतु कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा इस कोरोना काल में भी शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों द्वारा वेतन मांगने पर प्रति नियोजन भी किया जा रहा है जो कि सरकारी आदेश व मानवीय संवेदना की हीनता प्रतीत होती है।
कर्मचारी संघ बीएनएमयू से आए राजेश्वर राय ने कहा जब आप नियोक्ता नहीं है तो आप इस तरह की बहानेबाजी क्यों कर रहे हैं जबकि बीएनएमयू से पूर्णिया विश्वविद्यालय ने जो भी कागजात की मांग की उसे दे दिया गया तो आप वेतन क्यों नहीं जारी कर रहे हैं। वही शंकर जाधव ने कहा इस विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू रजिस्टर एडमिन का सारा काला चिट्ठा मेरे पास है मानव समुदाय को समझाएं नहीं तो 4 राज्यों बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में यह आग लगेगी जिसका खामियाजा माननीय कुलपति महोदय को भोगना पड़ेगा। एमएलसी डॉक्टर संजीव कुमार सिंह ने बताया कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहा है पूर्णिया विश्वविद्यालय से जो वैकेंसी निकली राज सरकार के मनाही के बावजूद इन्होंने छात्रों अभिभावकों का दोहन किया है।
श्री सिंह ने कहा छात्रों से हाथापाई करना घोर निंदनीय है शिक्षकों का निलंबन वापस हो कर्मचारियों पर सो काज वापस हो एवं कर्मचारियों को मुख्यालय यहां उनके पैतृक महाविद्यालय में ही रखा जाए क्योंकि वे किसी एक महाविद्यालय के लिए ही नियुक्त हैं उसमें भी 49 कर्मचारी की बहाली हाई कोर्ट के दिशा निर्देश पर नियम व परिनियम के तहत केवल फॉरबिसगंज कॉलेज फॉरबिसगंज के लिए हुई है इसलिए या तो मुख्यालय में रखें या इनकी सेवा पुनः कॉलेज को वापस करें। बिहार राज आयशा के अध्यक्ष मोहम्मद मुख्तार आलम व मुकेश प्रभाकर ने समर्थन देते हुए कहा कि आयशा इस विश्वविद्यालय को बचाने हेतु चरणबद्ध पूरे राज्य में आंदोलन का आगाज करने जा रही है।