भदोही, नितेश श्रीवास्तव: गंगा दशहरा के अवसर पर रविवार को मोक्षदायिनी गंगा में प्रचंड गर्मी में आस्थावानों ने डुबकी लगाई। घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई थी। डुबकी लगाने के साथ ही मां गंगा का पूजन अर्चन किया। वहीं दशहरा के अवसर पर घर-घर पूड़ी-बखीर संग तरह-तरह के व्यंजन बने। देर शाम किसानों ने रोग मुक्ति को खेतों में पुआल, लकड़ी आदि जलाई। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हजारों वर्ष तक महाराज भगीरथ की तपस्या के बाद आज ही के दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ। उनके वेग से सब कुछ तहस-नहस न हो जाए इसके लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटा में लपेट लिया और कुछ हिस्से को धरती पर छोड़ा। इसके बाद मां गंगा ने महाराज भगीरथ के पूर्वजों को पापों से मुक्ति दिलाई थी। ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन अविरल धारा में डुबकी लगाने से मनुष्य के न केवल पाप व कष्ट धुल जाते हैं बल्कि उनकी कृपा से पीढि़यां तर जाती हैं।
दशहरा पर्व के मद्देनजर सुबह से ही जनपद के कोने-कोने के साथ ही पड़ोसी जनपदों से लोग बड़ी संख्या में रामपुर, सीतामढ़ी, गुलौरी, बिहरोजपुर, चतुर्मुखी घाट, जहंगीराबाद, भवानीपुर, मूलापुर बरजी, डेरवां आदि घाटों पर पहुंच गए थे। गंगा स्नान का क्रम देर शाम तक चलता रहा। इसके साथ ही घरों में तरह-तरह के व्यंजन तैयार किए गए थे। हर घर में पूड़ी बखीर बनाई गई। देर रात किसानों ने परंपरागत तरीके से अपने-अपने खेतों में आग लगाकर रोग मुक्ति की याचना की। गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालु देवालयों में बाबा का दर्शन पूजन भी किया। स्नान करने के बाद दर्शनार्थियों ने दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। घाटों पर सुरक्षा के मद्देनजर व्यापक बंदोबस्त किए गए थे। सीतामढ़ी में गंगा स्नान करने के बाद भक्त माता सीता का भी दर्शन पूजन करते रहे। स्नान पर्व होने के कारण गंगा घाटों पर तरह-तरह की दुकानें भी सज गई थीं। पूरे दिन मेला लगा रहा।