सहरसा, अजय कुमार: व्यक्तित्व परिष्कार सत्र को संबोधित कर डाॅक्टर अरूण कुमार जायसवाल ने कहा शीत ऋतु का समापन हो गया है। बसंत ऋतु का आगमन हो गया। लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण अब सीधे वसंत ऋतु से सीधे ग्रीष्म ऋतु हो जाता है। एकाएक गर्मी हो जाती है।इसके चलते लोग बीमार होने लगते हैं। अगर आपके शरीर का प्रतिरोधक क्षमता कम है और इसे एडजस्ट नहीं कर पाते हैं तो कफ,पीत,वायु का असन्तुलन होने से आप बीमार हो जाते हैं। उन्होंने कहा वसंत पंचमी से वसंत ऋतु प्रारम्भ होता है,उसका चरम होली है और नवरात्र उसका विराम है। बसंत का पीला रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है। यह नकारात्मकता को हटाता है और सकारात्मकता को बढ़ाता है। बसंत उत्सव को मदनोत्सव भी कहते हैं। बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किए थे।लेकिन उनकी पत्नी को वरदान भी दिए कामदेव सभी के मन में काम के रूप में निवास करेंगें। उसी दिन से काम के रूप में निवास करने लगे।कामदेव का एक नाम मदन है।इसलिए होली को मदनोत्सव भी कहते हैं। बासंती नवरात्र के संबंध में कहा की इसबार 22 मार्च से नवरात्र है।नवरात्र साधना शक्ति का पर्व है।
आप नौ दिनों तक नवरात्र में अपने साधना शक्ति का संचय करें।अपने साधना के शक्ति को जागृत कर सकते हैं।उन्होंने कहा वर्ष में चार रात्रि होती है।दारून रात्रि महारात्री,मोह रात्रि,काल रात्रिऔर दो गुप्त नवरात्रि होती है।कहा इस समय अंतरिक्ष से विशेष उर्जा धरती पर आती है।इस समय की गई साधना विशेष उर्जा देती है।उन्होंने कहा हम अगले पीढ़ी के लिए एक जहर भरी दुनियाँ छोड़कर जा रहे हैं।आने वाली पीढी हमें इसलिए माफ नहीं करेगी कि बुरे आदमी ने अच्छा काम नहीं किया,बल्कि अच्छे आदमी ने अच्छा काम नहीं किया।आप अपने अंदर का टाक्सिन को निकालकर बाहर करें बाहर का टाक्सिन खुद दूर हो जायेगा। प्रदूषण के संबंध में कहा पंपुगुरूदेव कहते हैं जहां हरियाली है,वहीं समृद्धि है।अपने जीवन शैली को बदलिए। जीवन शैली प्रकृति का सहयोगी होनी चाहिए। तुलसी का पेड़ लगाइए, आक्सीजन उर्जा देगी,प्राणबल बढेगी।प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना है।जल का संरक्षण करना है।विशेष दिनांक 7 मार्च की संध्या 4 बजे से होली मिलन समारोह आयोजन किया गया है।