पूर्णिया: आज विश्व गौरैया दिवस पूरे विश्व में गौरैया के संरक्षण और संवर्धन को लेकर मनाया जा रहा है, लेकिन पूर्णिया का एक युवक गौरैया प्रजाति के पक्षी को बचाने और बढ़ाने के लिए पालनहार की भूमिका निभा रहे हैं। बिहार का राजकीय पक्षी गोरैया अब देखने को कम ही मिलती है, लेकिन पिछले 4 साल से पूर्णिया के गुलाब बाग के रहने वाले शुभम ने अपने घरों में घोंसला बनाकर गौरैया का संरक्षण कर रहे हैं। शुभम बताते हैं की वातावरण के अनुकूल रहने के चलते आसपास भी सैकड़ों की तादाद में गौरैया प्रवास कर रहे हैं। उनकी माने तो गोरैया प्रजाति शहरी इलाकों में दुर्लभ पक्षी बनकर रह गई है जो पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है।
शुभम के मन में गौरैया के संरक्षण की भावना उस वक्त जगी जब पूरा देश कोरोना काल से गुजर रहा था, वही शुभम गौरैया संरक्षण के लिए काम कर रहा था। शुभम के पिता और मां दोनों ही शुभम के कार्यों की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने बताया कि शुभम के प्रयास से चिड़ियों के चहचहाने की आवाज से नींद खुलती है और फिर दाना देने के बाद ही शांति मिलती है। शास्त्रों में भी गौरैया का महत्व दर्शाया गया है। जबकि घरों में लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। बरहाल बिहार का राजकीय पक्षी गौरैया जरूर है, लेकिन इसके संवर्धन और विकास के लिए सरकार तरफ से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं ऐसे में शुभम का प्रयास सराहनीय है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी।
