राजस्थान: RAJASTHAN देखो तारा, टूट गया।
अपने नभ से,छूट गया।।
शोक नहीं,मातम भी कैसा।
सब चलता है,वैसा वैसा।।
फूल गिरा लेकिन फिर एक,
बीज कली में,फूट गया।
आना और चमकना साथी।
हँसते हँसते,ढलना साथी।।
”मैं” नहीं तो,थम जाएगा,
यह वादा भी झूठ गया।
यह जीवन है,पल दो पल का।
किसे पता है,अपने कल का।।
जो समझा वो,सच्चे सच्चे,
सुख के मोती,लूट गया।
देखो तारा, टूट गया।।
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