पूर्णियाँ, वि० सं० अरुण कुमार सिंह: प्ली बारगेनिंग के तहत अभियुक्त कम सजा के कानूनी प्रावधानों का लाभ उठा सकते हैं। सोमवार 10 अप्रैल 2023 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पूर्णिया सुजीत कुमार सिंह के निर्देशानुसार दिशा स्कीम नीति आयोग के अंतर्गत विचाराधीन बंदी एवं अभियुक्त के अधिकार तथा प्ली बारगेनिंग विषय पर केंद्रीय कारा पूर्णिया में विधिक जागरूकता एवं विधिक साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन माननीय उच्च न्यायालय पटना एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार पटना के पत्र के आलोक किया गया। जेल के तमाम कैदियों की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें जेल अधीक्षक राजीव कुमार झा, जेल उपाधीक्षक संतोष कुमार पाठक, जेल के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। कानूनी विषय के बारे में पैनल अधिवक्ता राजीव कुमार ने उपस्थित बंदियों को विस्तार पूर्वक विचाराधीन बंदी एवं अभियुक्त के अधिकार तथा प्ली बारगेनिंग के बारे में बताया।

ज्ञात हो कि प्ली बार्गेनिंग समझौते का एक तरीका है जिसके अन्तर्गत अभियुक्त कम सजा के बदले में अपने द्वारा किए गए अपराध को स्वीकार करके और पीड़ित व्यक्ति को हुए नुकसान और मुकदमें के दौरान हुए खर्चे की क्षतिपूर्ति करके कठोर सजा से बच सकता है। प्ली वार्गेनिंग को दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 में संशोधन अधिनियम 2005 के द्वारा पर एक नए अध्याय 21 (A) के रूप में शामिल किया गया है। यह अध्याय 05 जूलाई 2006 से प्रभावी हुआ। प्ली वार्गेनिंग कुछ अपवादों के साथ केवल उन अपराधों पर लागू होता है जिसमें 7 वर्ष से अधिक कैद की सजा का प्रावधान नहीं है। राष्ट्र की सामाजिक व आर्थिक स्थितियों को प्रभावित करने वाले अपराधों, किसी महिला और 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे के विरुद्ध किये गये अपराधों पर भी यह लागू नहीं होता है। अभियुक्त द्वारा प्ली बार्गेनिंग के लिए आवेदन उसी न्यायालय में दाखिल किया जा सकता है जिसमें उसका संबंधित मुकदमा विचाराधीन है।
