पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: सतसंग में प्रवचन को प्रेम एवं शांति से सुनिए, जीवन धन्य हो जाएगा। सतसंग दो दिलों को जोडता भी है। उक्त प्रवचन सपाहा गांव में आयोजित कबीर संतमत सतसंग के आयोजन के समापन समारोह में संत कबीरदासजी महाराज के परमशिष्य संत असंगदेवजी महाराज कर रहे थे। इस गांव में दो दिवसीय सतसंग का आयोजन हो रहा है। सतसंग के समापन के दौरान संत असंगदेवजी महाराज ने कहा कि अत्यंत प्रेम एवं श्रद्धापूर्वक बैठकर सुनना चाहिए, यह दो दिलों को जोडता भी है। जो भी सतसंग में सुनो उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करो।
उनके प्रवचन का मनन भी करना चाहिए। प्रवचन सुनने के लिए कभी भी मन्न खिन्न नहीं होना चाहिए। प्रसन्न मन से सतसंग सुनना चाहिए। मन खिन्न होगा, गुस्सा में होगा, तब कभी भी सतसंग या फिर संतों की वाणी को समझ में नहीं आएगी। इसलिए प्रवचन सुनने के लिए हमेशा ही मन प्रसन्न होना चाहिए, मन में षांति होनी चाहिए तथा सभी को सिर्फ संतों के द्वारा दिये गए प्रवचन को सुनना एवं उसको मनन करना चाहिए, इससे जीवन धन्य हो जाता है। इस अवसर पर हजारो की संख्यामें सतसंगप्रेमी संतों के प्रवचन सुनने के लिए वहां पहूंचे थे।
