• छोड़ी मल्टीनेशनल कम्पनी की नौकरी
• कृषि महाविद्यालय बढ़ चढ़कर मखाना किसानों की कर रहा है मदद
पूर्णिया (ANG INDIA NEWS) : सीमांचल में मखाना की खेती की संभावनाओं को देखते हुए अररिया के प्रणव ने अपने दो सगे भाइयों की मदद से इस संभावना को हकीकत में बदल दिया है और उनके इस कार्य में पूर्णिया कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने सराहनीय योगदान दिया है सबसे बड़ी बात तो यह है कि बी टेक की उपाधि प्राप्त करने वाले प्रणव कुमार ने मखाना उत्पादन के क्षेत्र में कुछ नया करने के लिए मल्टीनेशनल कम्पनी की अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया और अपने दो सगे बडे़ भाईयों प्रिंस और रितेश के साथ मिलकर अपने ही गांव सलायगढ अररिया में रहकर जलजमाव से प्रभावित अपने खेतों के अलावा अन्य किसानों की जमीन को पट्टे पर लेकर लगभग 80 एकड़ क्षेत्रफल में मखाना की खेती प्रारंभ की।
प्रणव की माने तो वे मल्टीनेशनल कम्पनी में जितनी मेहनत कर रहे थे उसकी आधी मेहनत में अपने गांव एवं घर परिवार के साथ रहकर अच्छे जीवन गुजारने के साथ साथ अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं साथ ही साथ गांव के युवाओं को भी रोजगार प्रदान कर आत्म निर्भर बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। प्रणव का लक्ष्य है कि आने वाले समय मे वे भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के मखाना वैज्ञानिकों के सहयोग से मखाना किसानों के साथ मिलकर फारर्मस प्रोड्यूसर कम्पनी बनायें जिससे किसानों को बिचैलिए से मुक्ति दिलाने के साथ.साथ गुणवत्ता युक्त कृषि उपादान कम लागत पर उपलब्ध करा सकें। बताते चलें कि इससे पूर्व मखाना की खेती के लिए प्रणव कुमार का चयन केन्द्रीय बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा वित्तीय संपोशित परियोजना बायोटेक किसान हब के अन्तर्गत युवा किसान के रूप में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया एवं कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया द्वारा किया गया था। कृषि वैज्ञानिकों ने उनके इस कार्य में काफी मदद की अन्य चयनित किसानों के साथ साथ उन्हें भी प्रशिक्षण और इसकी खेती की तमाम तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई। भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 पारस नाथ ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना विषाणु के भयावह प्रकोपों के कारण वैज्ञानिक किसानों के खेत पर नहीं पहुंच पा रहे थे। लेकिन सूचना क्रान्ति आई0सी0टी0 का प्रयोग कर सभी किसानों को तकनीकी सलाह लगातार प्रदान की गयी। कहा इसके लिए निदेशक प्रसार शिक्षा बिहार कृषि विश्वविद्यालए सबौर भागलपुर के डॉ0 आर0 के0 सोहाने द्वारा सूचना तकनीक का सहारा लेते हुए मखाना किसानों का अलग से व्हाट्सैप समूह बनाया गया है जिसमें किसान अपनी समस्या के संबंध में वैज्ञानिकों से लैस समूह को सूचित करते हैं।

इसी व्हाट्सैप समूह में प्रणव कुमार ने चिंता जाहिर की कि उनके मखाना की फसल में कुछ समस्या दिख रही है जिसको वे समझ नहीं पा रहे। समस्या के समाधान हेतु डॉ0 आर0 के0 सोहाने के निर्देश पर सह अधिष्ठाता सह प्राचार्य डॉ0 पारस नाथ अपनी मखाना वैज्ञानिकों की टीम एवं कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया के वैज्ञानिकों ने सलायगढ़ अररिया के मखाना किसानों के प्रक्षेत्र का निरीक्षण कर वैज्ञानिकों की देख रेख में संस्तुत कीटनाशी का छिड़काव कराया तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों के आगे प्रयोग की बात की। इसके लिए मखाना पौध पर 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल को 25 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करने की सलाह दी गयी। किसानों को बताया गया कि अप्रैल के पहले पखवाड़े में मखाना फसल में फूलों के आने प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है इसलिए पानी के स्तर को एक फीट तक बनाये रखना चाहिए। यदि इस समय पानी की कमी रही तो उत्पादन एवं लावा बनने की प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उपस्थित किसानों ने बताया कि सबौर मखाना.1 अच्छी प्रजाति है। इसी सिलसिले में शनिवार को भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय से वैज्ञानिकों की टीम ने मखाना उत्पादक किसानों के खेत का निरीक्षण किया इस अवसर पर प्रधान अन्वेषक, मखाना अनुसंधान परियोजना डा॰ अनिल कुमार, मृदा वैज्ञानिक डा॰ पंकज कुमार यादव, डॉ0 अरविन्द कुमार सिन्हा, डॉ0 बी0 के0 मिश्रा, डॉ0 रत्नेश चैधरी, डॉ0 अनिल कुमार मृदा वैज्ञानिक तथा बायोटेक किसान हब परियोजना के यंग प्रोफेशनल आदित्य रंजन एवं कुमारी रागिनी के साथ साथ सलायगढ़ अररिया के किसानों में प्रिंस कुमार, ब्रजकिशोर, अर्जुन दास, अरूण कुमार पाण्डे, राजकिशोर राज, रविन्द्र नाथ मंडल, रीतेश कुमार, अमरजीत मंडल, पंकज मंडल एवं ओंकार नाथ मंडल आदि उपस्थित थे।