सहरसा, अजय कुमार: कोसी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार मलमास 15 मार्च से शुरू हुआ था, जो 14 अप्रैल को 10.30 बजे सूर्य, मीन, राशि से मेष राशि में जाने के बाद समाप्त होगा। जुड़ शीतल के दिन जल से पूर्ण मटके दान करने का विशेष महत्व है।हिंदु पंचाग के दृष्टि से सौर मास का यह पहला दिन है, रबी फसल गेहूं, मकई, सरसों, तीसी आदि की कटाई कर भंडारित किया जाता है। मिथिला में जूड़ शीतल के बहाने घर में बड़े बुजुर्ग, माता पिता बच्चे के सिर पर पानी डालते है।
इसके अलावा जीव जंतु के साथ साथ पेड़ पौधों को भी सिंचाई की जाती है। रबी की फसल की कटाई की खुशी में किसान बैसाखी का पर्व मनाते हैं। इसी प्रकार से मिथिला में इस पर्व को मनाया जाता है और इस दिन गुड और सत्तू के साथ ऋतु फल और पानी से भरे हुए घड़ों का दान किया जाता है। जुड़ शीतल के दौरान मिथिला में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। त्योहार के एक दिन पहले यानी सतुआनी की रात को तैयारी आरंभ कर दी जाती है।