सहरसा, अजय कुमार: जिले में पर्यटन की दृष्टिकोण से विकसित मत्स्यगंधा झील पानी के अभाव में सूख गया है।वही झील में मिट्टी टापू के रूप में तब्दील हो गया है।जिसके कारण नौका परिचालन बाधित हो गया है।वही पर्यटक का आना भी बंद हो गया है। जिले का एकमात्र पर्यटक स्थल रहने के बावजूद इस उपेक्षित छोड़ दिया गया है।जबकि साफ सुथरा रहने पर दूसरे जिलों के लोग भी काफी संख्या में आ रहे थे लेकिन मत्स्यगंधा झील के सूखने एवं जंगल में तब्दील होने के कारण यह स्थल वीरान पड़ा हुआ है।जिसके कारण संवेदक को अब तक लाखों रुपए की क्षति पहुंची है। संवेदक अमृतराज ने बताया कि इस संबंध में जिला प्रशासन को भी आवेदन व मौखिक सभी बातों से अवगत कराकर इसके जीर्णोद्धार करने तथा पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर ध्यान आकर्षण कराया गया। उन्होंने झील का स्थाई समाधान कराकर कर पुन:नौका परिचालन किए जाने की मांग की है। ज्ञात हो कि 2021 में लघु सिंचाई विभाग के द्वारा सफाई कराई गई लेकिन सही ढंग से साफ सफाई नहीं होने के कारण मत्स्यगंधा झील में जंगली घास बड़ी पैमाने पर उग आया है। साथ ही पानी की कमी के कारण जगह-जगह मिट्टी का टापू भी बन गया जिसके कारण नौका परिचालन पूरी तरह ठप्प हो गया है।
इस संबंध में सहरसा विधायक डॉ आलोक रंजन फरवरी 2024 में तारांकित प्रश्न संख्या 2111 के माध्यम से विधानसभा में मत्स्यगंधा झील की आवाज उठाई। इस बाबत विधायक ने झीलों की सौन्दर्यीकरण सही से नहीं करवाने तथा झीलों की सफाई ठीक से नहीं होने के कारण नौका परिचालन बाधित रहने की बात कही। इसके उत्तर में सरकार ने वस्तु स्थिति को स्वीकारते हुए बताया कि वर्ष 2021 में लघु सिंचाई विभाग द्वारा झीलों की सफाई की गई थी। परंतु वर्तमान में झील अंतर्गत जल संचयन क्षेत्र के कई जगह में मिट्टी दिख रही है एवं घास उग जाने के कारण नौका परिचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है। साथ ही विधायक ने मत्स्यगंधा झील की उड़ाही कराकर झील के दोनों भाग घाट पर सीढ़ी घाट एवं लाइटिंग कराए जाने की मांग की गई थी।वही शहर के गणमान्य नागरिक,समाजसेवी एवं स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने भी मत्स्यगंधा झील का सौन्दर्यीकरण कराकर इस पर्यटक स्थल को विकसित किये जाने का मांग किया।
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