पूर्णिया (ANG INDIA NEWS) : लॉकडाउन में फंसे करीब 20 लाख प्रवासी मजदूर बिहार आए हैं। सरकार ने दावा किया था कि वापस आए बिहारियों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है बिहार में ही रोजगार मिलेगा। लेकिन यह सरकार का दावा फेल हो गया। बिहारी मजदूर फिर से वापस कमाने के लिए जाने लगे हैं। ऐसे ही कुछ मजदूर रोजी रोटी की तलाश में अब पूर्णिया से भी पलायन करने लगे है। एक तरफ कोरोना वायरस बीमारी को लेकर जारी संकट से लोग परेशान है।
वहीं दूसरी ओर लोगों को पेट की भूख के कारण पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लॉक डाउन में प्रवासी मजदूर को दुसरे प्रदेश से सरकार घर पहुंचा रही है वही यहां गांव में रोजगार के साधन मुहैया नहीं होने के कारण मजबूरन अपने एवं परिवार के पेट की भूख को शांत करने के लिए मजदूरों के लिए बाहर जाना मजबूरी बन गयी है। पूर्णिया के नितेंद्र पंचायत एवं मच्छटटा पंचायत के करीब ढाई दर्जन मजदूर हरियाणा के लिए पलायन कर रहे है। काम की तलाश में एक बार फिर बहार जा रहे मजदूरो ने बताया कि कोरोना बायरस बिमारी के खतरे को जानते हुए भी परिवारों एवं बच्चों के पेट भरने के लिए मजबूर हो कर बाहर जाना पड रहा है।
उन्होंने बताया कन्हरिया, लरहैया, सिमलबाडी आदि जगहों के करीब 30 व्यक्ति हरियाणा के नालथा पानीपत गाँव जा रहे हैं वहां के बड़े किसान ने सरकार से परमिशन लेकर हमलोगों के लिए बस भेजा है। बस लेकर हरियाणा से आए हुए ड्राइवर ने बताया कि वहां के किसान ने इन सभी लोगों का आधार कार्ड वहां मंगवाया था और सरकार से परमिशन लेकर लॉक डाउन के नियम के तहत सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए इन सभी लोगों को वहां ले जाया जा रहा है। वहां ये लोग खेती एवं अन्य काम करेंगे। बहरहाल बिहार की सरकार चुनावी वर्ष में प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के कितने भी दावे कर दे लेकिन पूर्णिया के मजदूरों ने सरकार के दावे को खोखला साबित करते हुए सरकार की नियति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।