नालंदा : राजगीर में एक नए युग की शुरुआत हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के आधुनिक अवतार का उद्घाटन किया, जो एक बार फिर वैश्विक ज्ञान का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। यह परियोजना 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के एक विचार से शुरू हुई थी। उनके सुझाव पर, इस ऐतिहासिक संस्थान को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया आरंभ हुई। 2010 में लोकसभा में एक विधेयक पारित किया गया और राज्य सरकार ने 455 एकड़ भूमि इस प्रोजेक्ट के लिए समर्पित की। 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद इस परियोजना को नई गति मिली। 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसका शिलान्यास किया। आज, यह विश्वविद्यालय पूर्ण रूप से कार्यरत है, जो भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
प्राचीन नालंदा, जो 1200 ई. के आसपास नष्ट हो गया था, एक समय विश्व भर के विद्वानों का केंद्र था। नए नालंदा विश्वविद्यालय का लक्ष्य उसी वैश्विक शैक्षिक उत्कृष्टता की परंपरा को पुनर्जीवित करना है। राज्य सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है और विश्वविद्यालय के विकास में हर संभव सहायता देने का वादा किया है। यह पहल न केवल बिहार के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है, जो एक बार फिर वैश्विक शिक्षा के मानचित्र पर अपनी जगह बना रहा है।
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