सहरसा, अजय कुमार: श्री नारायण सेवा संस्थान द्वारा श्रीमद्भागवत कथा के सातवें और अंतिम दिन कथा व्यास ने द्वारिकानाथ श्रीकृष्ण के कुल १६१०८ विवाह की कथा सुनाई। व्यास पीठ पूजन के बाद ” हे गोपाल राधे कृष्ण गोबिंद गोबिंद” के कीर्तन से शुरु हई रसमयी कथा में पूज्य रामानयन ने कहा एक बार श्रीकृष्ण पर स्यमंतक मणि की चोरी का कलंक लगा, पर इसी बहाने जाम्बवती से और सत्यभामा से उनका विवाह हुआ। इसी तरह मित्र वृंदा, सत्या, लक्ष्मणा, कालिंदी ( यमूना) आदि आठ पटरानियों से विवाह का वर्णन किया। भौमासुर ने बहुत सारे राजाओं को जीतने के बाद उनकी १६१०० राजकुमारियों को अपने महल मे कैद कर रखा था। उन्होंने किसी तरह श्रीकृष्ण को अपने उद्धार के लिए संदेश भेजा। श्रीकृष्ण ने उसे पराजित कर मार डाला। वे बोली अब हमसे विवाह भला कौन करेगा ? अब तो हमारा जीवन नर्क बन जायेगा। श्रीकृष्ण ने उनसे विवाह कर आपनी पत्नी का दर्जा दिया। इस तरह श्रीकृष्ण की प्रत्येक पत्नियों से उन्हें दस दस पुत्र और एक एक कन्या हुई। इस तरह इनकी संतानों की चर्चा की। द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण ने मित्रता की मिसाल भी कायम की। बाल सखा सुदामा गरीब ब्राह्मण थे। किसी तरह भीख मांग कर जीवन यापन करते थे। अपनी पत्नी के बारंबार कहने पर एक बार सुदामा द्वारिका गए। श्रीकृष्ण ने उन्हें राजगद्दी पर बिठाया। सुदामा के चरण अपने हाथ से धोए फिर पत्नियों के साथ सेवा किया।
यद्यपि सुदामा की पत्नी ने मित्र को देने के लाए तंदुल दिए थे ,पर संकोच वश देने की हिम्मत नहीं जुटा पारहे थे। श्रीकृष्ण ने दोमुट्ठी खाये और दो लोक देदिया। तीसरी मुट्ठी मे सत्यभामा जी ने हाथ पकड़ लिया, पर यह रहस्य सुदामा नहीं जा़न सके। सुदामा वापस घर गए तब कृष्ण का दिया राजवैभव जान सके। कथा व्यास ने स्थानीय मैथिल कोकिल विद्यापति के जीवन का भी कथा प्रसंग सुनाया और शिव के उगना सेवक के रूप में उनकी सेवा का वृत्तांत सुनाया। इस तरह कथा व्यास ने एकादश और द्वादश स्कंध की कथा कहते हुए तत्व चिंतन कराया। फिर भजन के साथ कथा का विश्राम किया। मंच संचालन करते हुए आचार्य डॉक्टर नवनीत ने कहा जहां पर धर्म की रक्षा करने के लिए युवा एक साथ एकजुट होकर के आगे बढ़ेगा। इस देश का कल्याण होकर रहेगा। कथा के उपरांत वृक्षारोपण कर कथा व्यास और स्थानीय नागरिकों ने कथा की स्मृति को स्थाई स्वरुप प्रदान किया। प्रसाद वितरण हुआ। और सबके कल्याण की कामना की गई।श्री नारायण सेवा संस्थान के सदस्य सागर कुमार नन्हें ने कहा कि समिति के सदस्यों ने आभार जताया । 14 तारीख को पूर्णाहुति एवं भंडारा मूर्ति विसर्जन किया जाएगा। कल सुबह 7 बजे से हवन 10 बजे से भंडारा एवं 3 बजे प्रतिमा विषर्जन होगा। श्रद्धालू के लिए जगह जगह पानी का स्टॉल लगा हुआ है। साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रद्धांलू संगीतमय भागवत कथा में श्रद्धालुओं का भीड़ उमर रहा है और खूब आनंद लेते है खूब झूमते है।