सहरसा, अजय कुमार: भारती मंडन शंकराचार्य वेद विज्ञान संस्थान चैनपुर के तत्वावधान में भागीरथ संस्कृत विद्यालय मे आयोजित कर्मकांड प्रशिक्षण शिविर के सातवें दिन शुक्रवार को पंडित राज किशोर झा के आचार्यत्व में कार्यारम्भ से पूर्व प्रशिक्षणार्थी एवं शिविर के सभी सदस्यों द्वारा नित्यकर्म के पश्चात योग का गहन अभ्यास योग प्रशिक्षक आचार्य प्रभाकर द्वारा संचालित किया गया। प्रशिक्षण शिविर प्रथम सत्र योग प्रशिक्षक आचार्य प्रभाकर, द्वितीय सत्र संध्या वंदन,कृतमुख,पार्थिव शिवलिंग,आरती, विसर्जन का प्रशिक्षण आचार्य पं. राजकिशोर झा, रामचन्द्र झा द्वारा दिया गया।जबकि तृतीय सत्र मे गीता,सप्तशती,रुद्री, दुर्वाक्षतमंत्र प्रशिक्षक पं. शिवतोष झा द्वारा संपन्न हुआ। चतुर्थ सत्र मे बौद्धिक विचार मंच की अध्यक्षता पं. विनोदानंद झा ने की।जिसमे प्रमुख वक्ता नरेन्द्र कुमार मिश्र,उमेश कुमार झा,प्रो. प्रवीण कुमार झा ने अपने उद्बोधन में कहा कि वेद के दो भाग ज्ञान काण्ड व कर्म काण्ड माना गया है।
ज्ञान काण्ड में उपनिषद और मंत्र,जिसके प्राप्ति के लिए गुर मुख से उपदेश को परमावश्यक कहा।वही कर्म काण्ड में दैवी शक्ति की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार के यज्ञादि,पूजन कार्यक्रम आयोजित होने की बात कही। कर्म काण्डी को उपनिषद के रहस्यमय आध्यात्मिक ज्ञान का अधिकारी बनने पर ही उपदेश का लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा की वेद के तीन प्रस्थान हैं,श्रोत प्रस्थान उपनिषद,स्मार्त पस्थान गीता, दार्शनिक प्रस्थान वेद व्यास प्रणीत व्रह्म सूत्र की व्याख्या किया गया।इन्हीं प्रस्थान त्रय के आधार पर समस्त वेदांत साहित्य की रचना हुई है।इस तरह धर्म कर्म के मर्म को समझने के लिए वेदांत साहित्य को समझने की आवश्यकता है।कार्यक्रम में चन्द्र मोहन झा, संस्थान के अध्यक्ष भगवान दत्त ठाकुर, कोषाध्यक्ष संजु बाबु, कार्यकारी सदस्य सुभाष चन्द्र झा, संजय कुमार झा,मोहन ठाकुर , जगन्नाथ महतो के अतिरिक्त कृष्ण चन्द्र मिश्र, विमल कान्त ठाकुर, पंचानन्द चौधरी ( बजरंगी) सुनील कामत ,मरहूल बार आदि मौजूद थे।मंच संचालन उज्ज्वल ठाकुर एवं विकास कुमार मिश्र संयुक्त रुप से किये।कार्यक्रम देख दर्शक काफी संतुष्ट दिखे।अध्यक्ष के धन्यवाद ज्ञापन के वाद कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई।