सहरसा, अजय कुमार : जिला मुख्यालय के महावीर चौक स्थित महावीर मंदिर में साप्ताहिक शाखा में ऋषि परंपरा पर रविवार को परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें मुख्य शिक्षक के संचालन में एकात्मता स्त्रोत, सुर्य नमस्कार मंत्र तथा सुक्ष्म योग प्राणायाम के तहत कपाल भांति, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, भस्त्रिका एवं ओंकार ध्वनि का उच्चारण किया गया।इस अवसर पर बौद्धिक देते हुए डॉ मुरारी कुमार नें कहा कि हमारे देश में ऋषि परम्परा अति प्राचीन है।आज भौतिक युग जिसे वैज्ञानिक या साइंटिस्ट कहते है।हमारी संस्कृति में जितने भी ऋषि हुए है वे सभी वैज्ञानिक ही थें।जिसमें कपिल, कणाद, सुश्रुत,भारद्वाज चरक,भास्कराचार्य, पतंजलि, महर्षि गौतम, अगस्त मुुनि जिन्होने चिकित्सा, शिक्षा एवं विज्ञान के रुप में एक से बढ़कर एक आविष्कार शोध व अनुसंधान कर जीवन को सुगम बनाया।दुनिया के लोगों ने हमारी वेद एवं अन्य ग्रंथ के आधार पर नकल कर आविष्कार किया।
उन्होंने कहा कि युरोप में जब पहला कन्वेंट शुभारंभ हुआ उस समय से पहले भारत में कई विश्वविद्यालय तथा लाखों गुरुकुल संचालित हो रहे थे।आज विज्ञान जहां पहुंचा है वहां हमारे ऋषि हजारों वर्ष पहले पहुंच गए जिसके प्रमाण भारत के कण-कण में मौजूद है।इस अवसर पर नगर संघचालक ई रामेश्वर ठाकुर नें कहा कि भारत ने ही शून्य का आविष्कार कर दुनिया को गिनती सिखाई वही कपड़े का आविष्कार कर दुनिया को सभ्य बनाया। किन्तु पाश्चात्य सभ्यता सनातन धर्म को सदैव हीन भावना से प्रेरित होकर इसका विश्लेषण कर गलत इतिहास पढाकर दिग्भ्रमित किया।इस मौके पर राज कुमार गुप्ता,उदाहरण भगत,श्रवण कुमार, सुरेंद्र भगत, प्रो राजकुमार, अशोक कुमार गुप्ता, राजकुमार तथा अंकित कुमार सहित अन्य मौजूद थे।