पूर्णिया: PAPPU YADAV पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने लोकसभा में पूर्णिया समेत बिहार में पशुपालन एवं मत्स्यपालन के विषय में चर्चा की गयी और सरकार से इस क्षेत्र में सर्वाधिक आर्थिक सहयोग की मांग की गयी. पप्पू यादव ने कहा कि भारत दुनियाँ का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि वाला देश है। यहाँ का मत्स्य क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और लाखों मछुआरों की आजीविका प्रदान करता हैं। उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल मछली उत्पादन में आज पहले स्थान पर हैं, वही बिहार राज्य में सारी संभावनाओ के रहते हुए मछली पालन और उत्पादन में बहुत पीछे हैं।
सांसद ने कहा कि बिहार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष 1500 (एक हजार 500 करोड़ रूपए) का मछली आयात करता हैं, जिसमें आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल बड़े पैमाने पर मछली बिहार को निर्यात करता हैं। बिहार नदियों से भरा पड़ा हैं। राज्य सरकार की उठासिनता के कारण 6 लाख से अधिक छोटे-बडे तालाबों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। इनमें पूर्णिया के तालाब भी हैं । अगर इन तालाबों का सही उपयोग होता तो मछली उत्पादन में बिहार आज आत्म निर्भर होता । उन्होंने कहा कि भारत में नीली क्रांति ने मत्स्य पालल और जलीय कृषि क्षेत्र के महत्व को प्रदर्शित करता हैं। राज्यवार आप देखे तो हरेक राज्य अपने- अपने स्तर पर मत्स्य पालन ओर विपणन का कार्य कर रहे हैं।
पप्पू यादव ने कहा कि बिहार राज्य का कोशी, सीमांचल, मिथिलांचल के क्षेत्र पूर्णतया कृषि पर निर्भर है, जिसमें पशुपालन स्थानीय लोगों की जीविका का साधन हैं। राज्य स्तर पर पशुपालकों को सरकार का सहयोग नगण्य हैं। क्षेत्रीय स्तर पर सरकारी दुग्ध डेयरी का नहीं होना पशुपालकों के लिए दूध की बिक्री कर पाना कठिन हैं। उन्होंने कहा कि लागत के अनुपात में किसानों को दूध का मूल्य नहीं मिल पाता हैं । स्थानीय निजी क्षेत्र बाजार अपनी मनमानी से दूध का मूल्य देते हैं। जिसके कारण पशुपालकों में पशुपालन के क्षेत्र में, भारी उदासीनता दिखाई देती है। इसलिए हम बिहार के लिए आर्थिक सहायता की मांग सरकार से करते हैं।
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