- सुबोध सिंह पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ रोग से बचाव व नियंत्रण के प्रति कर रहे लोगों को जागरूक
- रोग के बेहतर प्रबंधन से सुगम जीवन संभव
पूर्णिया : दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज संभव नहीं है. . ऐसी ही एक बीमारी का नाम है लिम्फीडिमा , जिसे आम भाषा में हाथी पांव भी बोलते हैं.. इसे दुनिया की सबसे अनोखी बीमारी बताया जाता है| ऐसी ही बीमारी से ग्रषित सुबोध सिंह जब सिर्फ 22 वर्ष के थे तो एक दिन अचानक बुखार के साथ पाँव में लहर होने का अनुभव हुआ | दो तीन दिन लगातार बुखार एवं पांव में लहर के बाद अचानक बाएं पैर में सूजन होनी लगी तो उनके पिता नजदीकी ग्रामीण डॉक्टर से दिखाया। डॉक्टर ने उन्होंने दवाई दी लेकिन इसका कोई असर नहीं होने पर उनके माता-पिता परेशान हो गए। बच्चे के इलाज के लिये एक के बाद एक न जाने कितने चिकित्सकों का दरवाजा खटखटाया। तब कहीं जाकर उनके फाइलेरिया ग्रसित होने का पता चला। छह माह के बाद लाइन बाजार में चिकित्सक से दिखाया तो उन्होंने ऑपरेशन कराने की सलाह दी | वो ऑपरेशन करवा तो लिए लेकिन फिर वही स्थिति बनी रही | उसके बाद वेल्लोर जाकर भी दिखाया मगर रोग का कोई समुचित इलाज नहीं था। इसलिये उन्होंने उसी वक्त ये ठान लिया कि भले वो कभी पूरी तरह ठीक न हो पायें लेकिन जीवन में कुछ ऐसा जरूर करेंगे ताकि किसी दूसरे व्यक्ति को मच्छर जनित इस रोग का शिकार न होना पड़े। आज सुबोध 37 वर्ष के हो चुके हैं। वह साउंड बॉक्स का व्यापार करते हैं । वर्ष 2022 से पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़कर आम लोगो को जागरूक करने के साथ अपने आप को भी काफी हल्का महसूस कर रहे हैं।
- रोग से बचाव के प्रति कर रहे हैं लोगों को जागरूक :
सुबोध पूर्णिया पूर्व प्रखंड के बेल्लोरी सहित आसपास के इलाकों में फाइलेरिया मुक्त भारत अभियान को मजबूत बनाने के प्रयास में जुटे हैं। वर्ष 2022 में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को एकत्रित कर उनके स्वास्थ्य में सपोर्ट करने के लिए शीतला पेशेंट सपोर्ट ग्रुप का निर्माण किया गया। पेशेंट सपोर्ट ग्रुप में वे सक्रिय सदस्य की भूमिका में हैं। इस ग्रुप में स्थानीय क्षेत्र के 11 फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को शामिल किया गया। अब हर महीने ग्रुप की बैठक का आयोजन किया जाता है | वह समूह की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आसपास के ग्रामीणों को फाइलेरिया से बचाव व इसके प्रबंधन संबंधी उपायों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वहीं संक्रमितों को भी प्रभावित अंगों की देखरेख, जरूरी व्यायाम, मच्छरदानी का प्रयोग व आसपास के माहौल को स्वच्छ बनाये रखने के प्रति जागरूक कर रहे हैं। मरीजों को अस्पताल से लिंक कराते हुए जरूरी चिकित्सकीय सुविधा, दवा व परामर्श उपलब्ध कराने में अपने समूह के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- रोग के बेहतर प्रबंधन से सुगम जीवन संभव :
सुबोध बताते हैं कि 15 सालों से वे इस गंभीर रोग से जूझ रहे हैं। उन्हें पता है कि रोग का कोई स्थायी समाधान नहीं है। लेकिन प्रभावित अंगों की समुचित देखरेख, जरूरी व्यायाम को जीवन में अपना कर इसके साथ सुगमता पूर्वक जीवन यापन संभव है। सरकार द्वारा रोग पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर हर साल एमडीए कार्यक्रम संचालित किया जाता है। जिसमें लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा सेवन कराया जाता है। इसका सेवन रोग पर प्रभावी नियंत्रण के लिये जरूरी है। आस-पास के ग्रामीण व संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को वे इसके प्रति जागरूक करते हैं। गांव में संचालित फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ने के बाद उनके इस अभियान को बेहद मजबूती मिली है। समूह की बैठकों में रोग से संबंधित विभिन्न मसलों पर विस्तृत चर्चा की जाती है। नजदीकी पीएचसी से उन्हें लिंक किया जाता है। इसकी मदद से उन्हें जरूरी चिकित्सकीय सुविधा व सुझाव आसानी से उपलब्ध हो पाता है।
- रोग नियंत्रण में समूह निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल ने बताया कि फाइलेरिया रोगियों को रोग प्रबंधन की तकनीक के प्रति जागरूक करते हुए उपलब्ध चिकित्सकीय सेवाओं का लाभ उन तक पहुंचाने में फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सरकार के स्तर से रोगियों को हर सहायता उपलब्ध करायी जाती है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक मच्छरजनित रोग है। इसका कोई समुचित इलाज नहीं। लेकिन कुशल प्रबंधन व प्रभावित अंगों की समुचित देखरेख से इससे होने वाली जटिलताओं से बहुत हद तक बचा जा सकता है। वर्ष 2027 तक देश को पूरी तरह फाइलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। लिहाजा इस दिशा में हर स्तर पर सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि इस उपेक्षित बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।
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