पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: 2018 में रूपौली-मोहनपुर-लालगंज सड़क की मरम्मती के लिए काम तो शुरू हुआ, परंतु यह काम बिरबल की खिचडी से कम नहीं नजर आ रही है, लोगों की आखें इस सड़क के बनने को देखने के लिए पथरा गई हैं। स्थिति यह है कि यह सड़क मोहनपुर से लालगंज तक पैदल चलने लायक भी नहीं रह गई है। जगह-जगह पर सड़क पर तालाब का रूप, लोगों को डराता नजर आता है। माता-पिता तो बरसात होते ही बच्चे को विद्यालय जाना बंद कर देते हैं कि पता नहीं उनके बच्चे कहीं सड़क पर बने गढों में जमे पानी में डूब ना जाएं। यह बता दें कि रूपौली से मोहनपुर होते हुए लालगंज तक सड़क काफी जर्जर होने की स्थिति में पूर्व सांसद संतोश कुशवाहा ने इसकी मरम्मती के लिए आश्वासन दिया था तथा इस सडक को नया रूप देने के लिए इस सड़क को पीडब्ल्यूडी विभाग को जिम्मेदारी दी थी। मरम्मती के बाद सड़क निर्माण आरंभ हुआ, परंतु यह बीरबल की खिचडी साबित हुई है। रूपौली से मोहनपुर तक सड़क आधी-अधूरी बनी, परंतु मोहनपुर से लालगंज तक सड़क पर विभाग अभी तक झांकने तक नहीं आया है। निर्माण कार्य पूरी तरह से बंद है।
सड़क की ना तो मरम्मती और ना ही निर्माण से अब यह सड़क काफी खतरनाक हो गई है। सड़क पर घुटने, जांघ भर पानी का जलजमाव हो जा रहा है। वाहन तो अब इसपर चलना बंद हो गया है। जबकि ग्रामीण जैसे ही बरसात होती है, वे अब अपने छोटे-छोटे बच्चों को विद्यालय भेजना भी बंद कर दिया है। रविवार को हुई बारिश से यह सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रह गई है। सडकों को खाली देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह अब पूरी तरह से अपना अस्तित्व खो दिया है। इस सडक के किनारे सहित बाढ प्रभावित गांवों का सीधा जुडाव है। मौके पर सरपंच गौतम कुमार गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता विपीन कुमार, जवाहर पंडित आदि कहते हैं कि इस सडक के अस्तित्व खत्म हो जाने से सभी लोग परेशान हैं, लोगों का विकास रूक-सा गया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह तत्काल प्रभाव से इसका निर्माण करवाए, ताकि लोगों की परेशानी दूर हो सके।