पटना : जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में विकास का आलम ये है कि दलित के बाद सबसे गरीबी और फटियाली मुसलमानों की है। 17 महीनें से हम पैदल चल रहे हैं, किसी भी मुसलमानों के गांव में हमनें यह महसूस किया है कि मुसलमानों के जो छोटे गांव हैं वो फिर भी ठीक है।
मुसलमानों के जो 3 हजार से अधिक आबादी वाले गांव हैं उनकी हालत सबसे ज्यादा खराब है। हमनें जब जानने की कोशिश की सर्वे कराया तो पता चला कि 3 हजार से ज्यादा मुसलमानों वाले गांव को चिन्हित कर लिया गया है।
जब कोई BJP और JDU का कोई नेता जीत कर आता है तो उन्हें पता होता है कि यही वो गांव हैं जहां 3 हजार से ज्यादा मुस्लमान इस गांव में रहते हैं यही कारण है कि MP हो या सांसद उस इलाके में जाता ही नहीं है वो सुनिश्चित करता है कि आपके गांव आपके घर आपके बच्चों के लिए कुछ भी काम न हो।
जब उस इलाके में RJD जीत कर आती है तो उन्हें पता होता है कि 4 से 5 हजार वाले गांव के मुस्लमान जाएंगे कहां? ये तो पक्के हैं, मजबूरी में वोट तो देंगे ही। यही कारण है कि वो बगल के गांव में काम करवाता है मगर मुसलामानों पर ध्यान नहीं देता।