दुर्गाकान्त ठाकुर (वरिष्ठ पत्रकार) : दरभंगा एयरपोर्ट चालू स्थिति में है और अब इसके आधुनिकीकरण के लिए शेष भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है जिसपर 342 करोड़ से भी अधिक रुपए खर्च किए गए हैं। राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भूमि अधिग्रहण के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च की अनुमति देने के लिए इसी 28 फरवरी को फेसबुक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार व्यक्त किया को वाजिब है। मंत्री संजय झा ने इसके लिए अथक प्रयास किया अतः उन्हें भी बधाई दिया जाना चाहिए। इसके उलट, अब बात पूर्णिया एयरपोर्ट की। पूर्णिया में दरभंगा से पहले से एयरपोर्ट की मांग होती रही है। 2015 के पीएम पैकेज में पूर्णिया में एयरपोर्ट बनने की बात कही गई थी। इन आठ वर्षों से यहां एयरपोर्ट का निर्माण कार्य आश्चर्यजनक और आपत्तिजनक ढंग से उपेक्षाओं और साजिशों का शिकार बना हुआ है। इन आठ वर्षों में 52.18 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हो पाया वह भी हाईकोर्ट द्वारा डंडा चलाए जाने के बाद। आज स्थिति यह है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा अधिगृहीत इस भूमि का हस्तांतरण भी स्वीकार नहीं किया गया है, क्योंकि सिविल इंक्लेव से हाईवे को जोड़ने के लिए 15 एकड़ भूमि की वाजिब मांग की जा रही है। आरटीआई के जरिए उपलब्ध जानकारी के अनुसार राज्य सरकार का इसपर कहना है कि अधिग्रहीत भूमि का हस्तांतरण स्वीकार किया जाय, सिविल इंक्लेव से हाईवे को फोरलेन सड़क से जोड़ने के लिए 15 एकड़ भूमि और देने पर भविष्य में विचार किया जाएगा। विचारणीय विषय यह है कि राज्य के मुखिया दरभंगा के लिए मेहरबानी और सीमांचल कोसी के लिए इतनी बेरुखी क्यों दिखा रहे हैं? जवाब एक ही दिखता है_ मुखिया के कान में यहां से चाबी डालने वाला कोई नहीं है। मंत्री संजय झा से भी खास_खास नेता यहां हैं लेकिन उन्हें केवल दरबारी नेता कहा जा सकता है।
पूर्णिया के सांसद मुख्यमंत्री के खास माने जाते हैं। जाने अंजाने अथवा जातीय समीकरण में फिट बैठ जाने के कारण इस संसदीय क्षेत्र में वह अपनी दूसरी पारी खेल रहे हैं और मुखियाजी की शान में कसीदे पढ़ते रहते हैं। इसी तरह जिले के धमदाहा से पिछले कई चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर रहीं काफी नेकदिल विधायक लेशी सिंह दो टर्म से मंत्री पद को सुशोभित कर रही हैं। इन्हें भी राज्य के मुखिया का खास माना जाता है। परंतु इन दोनों जनप्रतिनिधियों ने पूर्णिया में एयरपोर्ट के लिए संभवतः कभी दिल से दिलचस्पी नहीं दिखाई। इलाके के लोग जानना चाहते थे कि 25 फरवरी की महारैली में मुख्यमंत्री मंच से एयरपोर्ट पर क्या घोषणा करते हैं? मुख्यमंत्री ने केंद्र के मत्थे मामला डाल दिया साथ ही स्थानीय सांसद ने भी उन्हीं की लाइन बोलकर सबको निराशा के गर्त में धकेल दिया। मंत्री लेशी सिंह ने तो अपने भाषण में एयरपोर्ट संबंधी कोई चर्चा ही नहीं की। सांसद और मंत्री दोनों ने अपने अपने अल्प संबोधन में मुख्यमंत्री का ही केवल स्तुतिगान किया। यह वाकया इसे साबित करने के लिए काफी है कि ये क्षेत्रीय नेता कितने कम अक्ली हैं, जनता की नब्ज को ये कितना पकड़ते हैं और गंभीर मामले की भी इनको कितनी कम जानकारी रहती है। अगर पूरी जानकारी होती तो ये मुख्यमंत्री से यह आग्रह कर ही सकते थे कि एयरपोर्ट की मांग वाजिब और जरूरी है, इसमें जो कमी_कसर रह गई है उसे मुख्यमंत्री जी दूर करवा दीजिए वरना हमें आगे जिल्लत उठानी पड़ सकती है। समय हाथ से निकला नहीं है। सांसद_विधायक किसी एक क्षेत्र का होता है, परंतु मंत्री पूरे देश_प्रांत का होता है। समस्या की राह में रुकावट और आंदोलित जनता की आवाज को सुनना और दूर करना होगा, राज्य के मुखिया को विस्तार से बताना होगा। मांग पत्र सौंपकर फोटो के साथ अखबार में प्रेस विज्ञप्ति छपवा लेने से तात्कालिक लाभ भले मिल जाए, यह दीर्घकालिक नहीं हो सकता।