पूर्णिया: PURNIA NEWS टीबी ग्रसित होने वाले मरीजों की ग्रसित होने से पहले जांच करते हुए टीबी कीटाणु ग्रसित पाए जाने पर तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हुए संभावित लाभार्थियों को जीवनभर टीबी ग्रसित होने से सुरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन उपलब्ध कराई गई है। सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन का उपयोग करते हुए संभावित टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंड के टीबी सुपरवाइजर, एसटीएलएस, एसटीएस के साथ साथ समुदाय स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत सीएचओ, जीएनएम, एएनएम और प्रखंड स्वास्थ्य कर्मियों को एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। सी-वाई स्किन टेस्ट उपयोग के लिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 02 अलग अलग बैच के माध्यम से सोमवार और मंगलवार को राजकीय चिकित्सिका महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) पूर्णिया के एएनएम स्कूल में सभी स्वास्थ्य कर्मियों को स्वास्थ्य अधिकारी और विशेषज्ञ द्वारा एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने बताया कि वर्तमान समय में हिंदुस्तान की एक तिहाई जनसंख्या टीबी बीमारी से ग्रसित पाए जा रहे हैं। समय पर जांच और इलाज नहीं कराने के कारण हर साल भारत में 03 लाख 15 हजार मरीज टीबी ग्रसित होने के कारण मृत्यु का शिकार हो रहे हैं।
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टीबी ग्रसित होने वाले मरीजों की पहले से पहचान करते हुए लाभार्थियों को पहले से सुरक्षा किट्स उपलब्ध कराते हुए टीबी ग्रसित होने से सुरक्षित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन की शुरुआत की गई है। इसका उपयोग कर टीबी ग्रसित मरीजों के परिजनों और नजदीकी रिश्तेदारों के टीबी ग्रसित होने की शुरुआती समय में ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस दौरान लाभार्थियों के शरीर में टीबी कीटाणु उपलब्ध होने की पहचान होने पर संबंधित लाभार्थियों को आवश्यक उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि संबंधित व्यक्ति भविष्य में कभी भी टीबी ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकेंगे। संभावित टीबी मरीजों की जांच और उपचार के लिए आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया के साथ जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ कृष्ण मोहन दास, जिला टीबी उन्मूलन पदाधिकारी डॉ दिनेश कुमार, एआरटी सेंटर चिकित्सिका पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार, डीपीएस राजेश कुमार शर्मा, डब्लूएचओ टीबी कंसल्टेंट डॉ नाजिर अश्फाक भट्ट, माय लैब डिस्कवरी प्रोजेक्ट मैनेजर रवि शंकर, टीबी वर्ल्ड हेल्थ प्रोग्राम समन्यवक चंदन कुमार, केएचपीटी जिला लीड अरुणेंदु कुमार झा और सभी प्रखंड के टीबी सुपरवाइजर, एसटीएलस, एसटीएस, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सीएचओ, जीएनएम, एएनएम और प्रखंड स्वास्थ्य केन्द्र के नर्स उपस्थित रहे।
- सी-वाई स्किन टेस्ट से पता चलेगा लाभार्थी भविष्य में टीबी ग्रसित होने या नहीं :
जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया कि टीबी ग्रसित मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिजनों और आसपास के सहयोगियों को भी टीबी ग्रसित होने की संभावना हो जाती है। इसके लिए टीबी ग्रसित मरीजों द्वारा उनके परिजनों के शरीर में भी टीबी के कीटाणु पहुँच जाते हैं जिसकी पहचान संबंधित व्यक्ति को बहुत देर बाद होती है। इससे उन्हें भी टीबी ग्रसित होने की संभावना रहती है। अगर समय पर जांच और इलाज नहीं कराया गया तो संबंधित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। टीबी ग्रसित मरीजों के परिजनों को भविष्य में टीबी ग्रसित होने की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन सुविधा की शुरुआत की गई है। सी-वाई स्किन टेस्ट करने से लाभार्थियों द्वारा भविष्य में टीबी ग्रसित होने की पहचान की जा सकती है। जांच से यह स्पष्ट हो जाएगा कि उनके शरीर में टीबी का बैक्टीरिया उपलब्ध है की नहीं। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर संबंधित व्यक्ति भविष्य में टीबी ग्रसित हो सकते हैं। इससे संबंधित व्यक्ति को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक उपचार सुविधा तत्काल उपलब्ध कराई जाएगी जिसका लाभ उठाने से संबंधित लाभार्थी भविष्य में कभी भी टीबी ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकेंगे।
- संभावित टीबी व्यक्ति की पहचान के लिए पूर्णिया जिला को उपलब्ध कराया गया 240 वाईल्स इंजेक्शन :
जिला टीबी विशेषज्ञ डॉ दिनेश कुमार ने बताया कि संभावित टीबी ग्रसित व्यक्ति की पहचान के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्णिया जिले को 240 वाईल्स सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन सुविधा उपलब्ध कराई गई है। 01 वाईल्स सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन से 10 लाभार्थियों की जांच कराई जाएगी। इससे टीबी ग्रसित मरीजों के संबंधित परिजनों और रिश्तेदारों के भविष्य में कभी भी टीबी ग्रसित होने की जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। पहले से संभावित टीबी व्यक्ति की पहचान होने पर उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जाएगा जिसका लाभ उठाने पर संबंधित लाभार्थी भविष्य में कभी भी टीबी ग्रसित होने से सुरक्षित रहेंगे।