PURNIA NEWS अभय कुमार सिंह : पूरे प्रखंड में सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग की रक्षा के लिए तीज व्रत बड़े श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया तथा अपने बड़ों से आशीर्वाद लिया । मौके पर जगह-जगह महिलाएं हरतालिका तीज व्रत की कथाएं पढ़ती नजर आईं ,वहीं पंडितजी भी कथा को सुनाते नजर आए । यह बता दें कि सनातन धर्म में कुंवारी लड़कियों और सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का विशेष महत्व है । यह व्रत महिलाएं निर्जला करती हैं । यह व्रत हर साल भद्र पद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन तीज का व्रत रखा जाता है । पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में यह व्रत 6 सितंबर को हो रहा है । इस तिथि को देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है । ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत कथा का पाठ न करने से सड़क शुभफल की प्राप्ति से वंचित रहता है ।
इसलिए पूजा के दौरान सभी महिलाएं या तो स्वयं पूजा करती हैं या फिर अपने पुरोहित से कथा पाठ करवाती हैं । मौके पर पंडित नरेंद्र झा ने कहा तथा उन्होंने पौराणिक कथा सुनाते हुए कहा कि हिमालय राज के परिवार में मां सती ने पुनः शरीर धारण करके मां पार्वती के रूप में जन्म लिया । हिमालय राज ने मां पार्वती की शादी जगत के पालनहार भगवान विष्णु से करने का निर्णय कर लिया था परंतु मां पार्वती पूर्व जन्म के प्रभावकी वजह से मन में ही महादेव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं ,लेकिन माता सती की मृत्यु के बाद भगवान श्री शिव तपस्या में लीन थे, जिसकी वजह से वह तपस्वी बन गए थे । इस परिस्थिति में मां पार्वती जी की सखियों ने उनका हरण कर लिया, क्योंकि पिता के निश्चय से असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी । जिसके बाद मां पार्वती को हिमालय की कन्दरा में छुपा दिया । इसके बाद मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की । उनकी तपस्या को देख महादेव प्रसन्न हुए तथा मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया । कुछ इसी वजह से कुंवारी लड़कियां भी मनचाहे वर की प्राप्ति और सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए हरतालिका तीज व्रत करती हैं और महादेव के संग मां पार्वती की विशेष पूजा अर्चना करती हैं ।
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