पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: PURNIA NEWS श्रीमाता गांव स्थित मध्यविद्यालय के शिक्षक की शुक्रवार की सुबह सडक दुर्घटना में हुई मौत एवं एक का जीवन-मौत से संघर्ष करना, शिक्षकों के लिए एक बहुत बडा संदेश छोड गया है। कहते हैं शिक्षकों की सिर्फ इतनी ही जिम्मेदारी नहीं है कि वे विद्यालय जाकर बच्चों को पढाएं, बल्कि उनकी जिम्मेदारी अपने परिवार के प्रति भी होती है। इसके लिए वे किस तरह से संतुलन बनाएंगे, यह शिक्षक पर निर्भर कर रहा है। यद्यपि यह शिक्षकों पर ही लागु नहीं होता है, बल्कि अन्य नौकरीपेशा वाले व्यक्तियों पर भी लागु होता है। यह बता दें कि श्रीमाता मध्यविद्यालय में कार्यरत शिक्षक रवि कुमार पासवान अपने एक साथी नवीन कुमार झा के साथ पूर्णिया स्थित सुदीन चैक से अपने विद्यालय बाइक से सुबह आ रहे थे। तभी कटिहार जिला के डूमर एवं पोठिया सडक के बीच उनकी बाइक पेड से टकरा गई तथा मौके पर ही चालक शिक्षक रवि कुमार पासवान की मौत हो गई है, जबकि दूसरे शिक्षक जीवन-मौत से संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षक की मौत ने कई सवाल छोड गया है। यह भी बता देना आवश्यक है कि रूपौली प्रखंड के दर्जनों नौकरी पेशा व्यक्ति प्रतिदिन पूर्णिया आने-जाने के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठे हैं। इधर जबसे शिक्षकों की नियुक्ति व्यापक पैमाने पर हुई है, पूर्णिया, भागलपुर, मधेपुरा, सहरसा, बांका, कटिहार, अररिया आदि जगहों से शिक्षक प्रतिदिन विद्यालय पहुंच रहे हैं तथा अपनी जान गंवा रहे हैं।
पिछले छः माह में दर्जनों शिक्षक सडक दुर्घना में या तो अपनी जान गंवा बैठे है या फिर वे हाथ-पांव तुडवा बैठे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर वे इतनी दूरी से विद्यालय क्यों आते-जाते हैं। क्या उन्हें इतना वेतन नहीं मिलता कि वे कहीं कमरा लेकर रह सकें। क्या उनकी जिम्मेदारी बस बच्चों को पढाने तक है, अपने परिवार के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है। मरनेवाला तो चला जाता है, परंतु वह व्यक्ति अपने पीछे ना जाने कितने लोगों को भी जीते-जी मार देता है। समेली अस्पताल में शिक्षक रवि कुमार पासवान के स्वजन जिस प्रकार चित्कार कर रहे थे, उसे देख सबका कलेजा फट रहा था। सबलोग यही कह रहे थे कि क्या जरूरी था बाइक से प्रतिदिन आना-जाना, आज क्या मिला स्वजनों को। बस जीवनभर का दर्द दे गया। रवि कुमार पासवान के बारे में पूर्णिया सुदीन चैक मुहल्ला के वासी लडु कुमार कहते हैं कि रवि अकेले नहीं गये हैं, बल्कि पूरे इस काॅलोनी के लोगों को भी दर्द दे गये हैं। वे इतने व्यवहारिक थे कि लगभग चार हजार की आवादी वाले इस काॅलोनी के लोग उनकी मौत की खबर मात्र से मर्माहित हो उठे हैं। इतना ही नहीं, शिक्षक समाज भी शोक में डूब गया है। श्रीमाता विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सहित सभी शिक्षकों को लगा जैसे काठ मार गया हो। टेट शिक्षक संघ के अध्यक्ष नीतेश कुमार तो घटना स्थल से लेकर अस्पताल तक साथ रहे, उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर शिक्षक इतना जान जोखिम में क्यों डाल रहे हैं। क्यों नहीं रूपौली क्षेत्र में ही कमरा लेकर रह रहे हैं। इतना रिस्क उठाने की क्या जरूरत है। उन्होंने सभी शिक्षकों से अपील की कि जिस तरह से सडकों पर वाहनों की भीड चल रही है, इस परिस्थिति में कब किसके साथ कहां दुर्घटना हो जाएगी, कहना मुश्किल है। इसलिए शिक्षक सडको पर इतनी दूरी तक यात्रा नहीं करें, वे इससे बचने की कोशिश करें।
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