सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA LATEST NEWS गायत्री शक्तिपीठ में रविवार को गुरू पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मनाया गया।इस अवसर पर डाक्टर अरुण कुमार जायसवाल ने गुरू पूर्णिमा के संबंध में कहा गुरु पूर्णिमा शब्द में गुरु जुड़ा हुआ है और पूर्णिमा जुड़ा हुआ है। गुरु प्रेरक होता है। प्रवर्तक होता है, गुरु वो होता है जो आपका रूपांतरण कर दे। बदल दें आप को,आकृति वही रहे,प्रकृति बदल दें। जो आकृति को यथावत रखते हुए प्रकृति को बदलने की सामर्थ्य रखता है, वही गुरु होता है, आंतरिक परिवर्तन होता है। पूर्णिमा आषाढ़ की होती है। चैत्र की पूर्णिमा वैशाख की पूर्णिमा, जेठ की पूर्णिमा के बाद अषाढ़ की पूर्णिमा आती है। तीन महीने के घोर तपन के बाद चौथे महीने आती है। यानी शिष्य के जीवन में अभीप्सा व अकांक्षा जगती है, उच्च जीवन की प्राप्ति के लिए अभिलाषा जगती है। उसकी प्रार्थना, उसकी तपन, उसकी ख्वाहिश, उसकी तितिक्षा, उसका तप जब अपने चरम पर पहुंचता है। तो अंतरिक्ष से मेघ पकड़ लाता है फिर अषाढ़ की पूर्णिमा ईश्वरीय करुणा की तरह बरसती है। आषाढ़ में केवल मेघ उमड़ते घुमड़ते नहीं है, प्रकृति से जीवन को अजस्र अनुदान प्राप्त होते हैं।
बाहरी प्रकृति को तो हमने देखा, तीन महीने तपन रही, चौथे महीने प्रकृति ने अनुदान बरसाए। यही स्थिति हमारे आंतरिक जीवन में हैं, जब तितिक्षा, तप, अभिप्सा प्रबल और प्रगाढ़ होती है, तो प्रकृति आपको गुरु प्रदान करती है, क्योंकि प्रकृति आपको वंचित नहीं रखती है। तीन चीजें अगर पूरी है, तितिक्षा, तपस्या और अभीप्सा, अप्रैल मई और जून का तपन पूरा है, तो प्रकृति आपको वंचित नहीं रखेगी, कोई ना कोई उद्घाटन, कोई न कोई व्यवस्था ऐसी बनाएगी कि आषाढ़ के मेघ आपके ऊपर बरस जाए। यही अषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा का मर्म है। दिनभर अखंड जप हुए तथा संध्याकालीन दीप यज्ञ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। वही इसअवसर पर लगभग 200 फलदार वृक्ष का पौधा बांटा गया। इस अवसर पर अवधेश कुमार राय उनकी धर्म पत्नी पद्मावती गाजी पुर से, पुत्री नीलम कुमारी, गुड़गांव से उनके पौत्र आयुष कुमार पौत्र वधु शालिनी राय, बड़ोदरा से सपरिवार पूजन में शामिल हुए। साध हीं गायत्री शक्तिपीठ के युवती मंडल की मनीषा और उसकी पति सौरभ कुमार, दिल्ली से इस पूजन में शामिल हुए।