सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA LATEST NEWS बिहार के सहरसा जिला अंतर्गत बनगांव में होने वाले खेल महोत्सव पर मन्नु रिस्की ने इसे गौरव का पल बताया है। उन्होंने बताया है कि बिहार, अपने समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और बौद्धिक विरासत के बावजूद, खेल के क्षेत्र में उस प्रकार की पहचान नहीं बना सका है, जो उसके अन्य पड़ोसी राज्यों ने बनाई है। राष्ट्रीय खेलों में बिहार का प्रदर्शन निरंतर संघर्षशील रहा है, जो खेल अधोसंरचना, संसाधनों की कमी और प्रशासनिक उदासीनता जैसी चुनौतियों का परिणाम है। हालांकि, राज्य के खेल परिदृश्य में सुधार लाने और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए नटखट खेल महोत्सव जैसे आयोजन एक नई उम्मीद की किरण के रूप में सामने आ रहे हैं।
- बिहार का राष्ट्रीय खेलों में प्रदर्शन
राष्ट्रीय खेलों में बिहार का प्रदर्शन अब तक संतोषजनक नहीं रहा है। विभिन्न खेलों में राज्य के एथलीटों ने व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास तो किए हैं, लेकिन समग्र रूप से टीम इवेंट्स में बिहार को वैसी सफलता नहीं मिली है, जैसी कि पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों को मिली है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि खेलों में जागरूकता की कमी, सही दिशा में मार्गदर्शन का अभाव और सबसे महत्वपूर्ण, खेल अधोसंरचना का न होना। हालांकि, बिहार के कुछ खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत खेलों में जैसे एथलेटिक्स, कुश्ती, और कबड्डी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। लेकिन इन सफलताओं को निरंतरता में बदलने के लिए राज्य में ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है, जो नई प्रतिभाओं को पहचानें और उन्हें निखारें। - नटखट खेल महोत्सव: बदलाव की दिशा में एक सशक्त पहल
नटखट खेल महोत्सव 2024, जो कि बनगाँव, सहरसा में आयोजित हो रहा है, बिहार के खेल परिदृश्य को नई दिशा देने की क्षमता रखता है। इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण बिहार स्टेट कबड्डी चैंपियनशिप है, जिसमें राज्य भर की टीमें हिस्सा लेंगी। यह महोत्सव न केवल खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा का मंच प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें उच्च स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए आवश्यक अनुभव और आत्मविश्वास भी देगा। ऐसे आयोजन बिहार के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल मंचों पर राज्य का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखते हैं। नटखट खेल महोत्सव जैसे आयोजन उन्हें न केवल खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उन्हें अनुशासन, टीम वर्क, और समर्पण जैसे गुणों को विकसित करने में भी मदद करते हैं। - बिहार के लिए राष्ट्रीय खेलों और ओलंपिक में सफलता हासिल करना कोई असंभव सपना नहीं है। यदि राज्य में खेल अधोसंरचना को बेहतर किया जाए और नटखट खेल महोत्सव जैसे आयोजनों को बढ़ावा दिया जाए, तो बिहार के युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में अपनी छाप छोड़ सकते हैं और ओलंपिक जैसे बड़े मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। अभी भी, बिहार के खेल जगत में कुछ उभरते हुए सितारे हैं जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से कुछ खेलों में अपनी पहचान बनाई है। यदि इन्हें उचित संसाधन, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त हो, तो वे न केवल राष्ट्रीय खेलों में पदक जीत सकते हैं, बल्कि ओलंपिक में भी राज्य और देश का नाम रोशन कर सकते हैं। ओलंपिक खेल, जो दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित खेल आयोजन हैं, में बिहार के खिलाड़ियों की उपस्थिति लगभग न के बराबर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाले राज्य में ओलंपिक प्रतिभाओं की कमी है। लेकिन नटखट खेल महोत्सव जैसे आयोजन इस स्थिति को बदलने में सहायक हो सकते हैं।
- यह महोत्सव न केवल राज्य में खेलों की संस्कृति को पुनर्जीवित कर सकता है, बल्कि उन युवा खिलाड़ियों को भी पहचान और प्रोत्साहन देगा, जो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखते हैं। बिहार में नटखट खेल महोत्सव जैसे आयोजनों की सख्त आवश्यकता है, जो राज्य की खेल प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल करने के लिए तैयार कर सके। यह महोत्सव केवल एक खेल आयोजन नहीं है, बल्कि एक आंदोलन है, जो बिहार के खेल परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि बिहार सरकार, स्थानीय प्रशासन, और खेल संगठनों का समर्थन बना रहता है, तो वह दिन दूर नहीं जब बिहार के खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों में पदक तालिका में शीर्ष पर होंगे और ओलंपिक खेलों में भी राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए देश का गौरव बढ़ाएंगे ।