सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA LATEST NEWS गायत्री शक्तिपीठ में रविवासरीय सत्र का शुभारंभ रुद्राभिषेक, हवन यज्ञ, विभिन्न संस्कारों से हुआ। साथ ही व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का शुभारंभ गान, ज्ञान और ध्यान से हुआ। इस क्रम में गायत्री शक्तिपीठ के ट्रस्टी डॉ अरुण कुमार जायसवाल ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कामना, इच्छा और चाहत पूरी नहीं होती। भक्ति भाव से किया गया कर्म ही पूरा होता है। भोग विलास का जीवन जरूरी नहीं। जरूरी है तो सादा जीवन उच्च विचार।जीवन में समझदारी जरूरी है। जीवन को सहजता पूर्वक जीना चाहिए दबाव में नहीं। जब जीवन में समझ विकसित हो जाती है तब जीवन में कला आती है जो जीवन को सहजता पूर्वक जीने में हमारी सहायता करती है और जब कला निखरती है तब सौंदर्य निखरता है। जब जिंदगी की समझ विकसित होती है। कला और कुशलता के साथ तब जीवन में रचनात्मकता विकसित होती है और कुशलता से क्षमता निखरती है फिर कर्म में कुशलता और कला भी आती चली जाती है। सामान्य जीवन में जीवन को खेल नहीं समझा जा सकता। अगर जीवन खेल बन जाती है तो जीवन में फिर कला और सौंदर्य निखरता है।
परम पूज्य गुरुदेव के अनुसार: शिशुवत सरलता है तो जिंदगी खेल बन जाती है। अगर जीवन ऐसा हो जाता है तो जीवन हमेशा हर्ष, उत्साह से भरा रहता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विनीत साहू, प्रकाश कावरा और अर्चना कावरा उपस्थित थे। मुख्य अतिथिगण के द्वारा भी सत्र को संबोधित किया गया। इस क्रम में प्रकाश कावरा ने कहा-कि अरुण कुमार जायसवाल हमारे जीवन में गुरु के रूप में है और उनके मार्गदर्शन में हमारा जीवन आध्यात्मिकता की ओर मुड़ा। इस क्रम में श्रीमती अर्चना कावरा ने कहा गायत्री शक्तिपीठ की व्यवस्था अरुण जी के मार्गदर्शन में बहुत ही सुचारू रूप से चल रहा है। इस क्रम में विनीत साहू जी ने संबोधित करते हुए सत्र को कहा- मैंने जो भी सीखा है वह श्री अरुण कुमार जी के द्वारा ही सीखा। मेरी जिंदगी आध्यात्मिकता की ओर मुड़ी तो वह अरुण कुमार के द्वारा ही। उन्होंने कहा जीवन मौज मस्ती के लिए नहीं अच्छे कर्म करने के लिए होते हैं।
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