SAHARSA NEWS सहरसा,अजय कुमार : जिला प्रशासन और कोसी लोक मंच सहरसा के तत्वाधान में विकस भवन के सभागार में जिला विकास आयुक्त संजय कुमार निराला ने सभागार में उपस्थित सभी प्रतिभागी जिसमे आईसीडीएस जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, कुमारी पुष्पा, काजल चौरसिया, भूपेंद्र कुमार, जिला समन्वयक रौनक प्रसाद सिंह, कोसी लोक मंच के सचिब घुरण महतो, श्याम् रथ कुमार, राजेश कुमार मल्लिक, सुनील कुमार, हरेराम झा सभी प्रखंड से आए हुए महिला पर्वेक्षिका एवं विद्यालय के अध्यापिका और लगभग सैकडो छात्राओं को बाल विवाह मुक्त बनाने का संकल्प दिलाया गया।इस मौके पर विकास भवन में हुए समारोह में उप विकास आयुक्त संजय कुमार निराला ने स्कूली बच्चों, महिलाओं और पंचायत प्रतिनिधियों व अन्य को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। जिले में जगह-जगह हुए कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) के अलावा बाल विवाह पीड़िताओं ने भी भागीदारी की और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली।यह कार्यक्रम देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत के आह्वान के समर्थन में किया गया, जिसका उद्घाटन 27 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने किया। दौरान उन्होंने पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई।
उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस मौके पर बाल विवाहों की सूचना व शिकायत के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी शुरू किया गया।इस मौके पर उप विकास आयुक्त ने कहा की बाल विवाह से समाज में बहुत नुकसान होती है हमारी बच्ची को बचपना चीन जाती है इसे रोकना हम सब की जिमेदारी है।इस राष्ट्रव्यापी अभियान और जमीन पर इसके असर की चर्चा करते हुए कोसी लोक मंच के सचिव घुरण महतो ने कहा की बाल विवाह हमारे बच्चों को शिक्षा से दूर कर देता है हमारी मांग है की १८ वर्ष तक सभी लड़की का शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य किया जाय जिससे समाज में बाल विवाह में कमी लाया जा सके। घुरण महतो ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में बाल विवाह के खात्मे के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया अभियान इस बात का सबूत है कि सरकार इस सामाजिक बुराई की गंभीरता से अवगत है। आज भी देश में 23 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह होता है जो न सिर्फ जीवनसाथी चुनने के उनके अधिकार का हनन है बल्कि इससे लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ रोजगार और आर्थिक निर्भरता की उनकी संभावनाओं पर भी बेहद बुरा असर होता है। सरकार की योजना इस अभियान में सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने की है और ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन होने के नाते हम इसमें पूरी तरह साथ हैं। वर्षों से बाल विवाह के खिलाफ काम करने के नाते हम भली भांति जानते हैं कि समग्र और समन्वित प्रयासों के बिना यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती। लेकिन अब हमें विश्वास है कि सरकार और नागरिक समाज के साझा प्रयासों से भारत 2030 से पहले ही बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल कर सकता है।”