सहरसा/अजय कुमार : चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन गुरुवार को मां के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर शहर के कालेज गेट स्थित दुर्गा मंदिर, प्रशांत सिनेमा, बड़ी दुर्गास्थान, थाना चौक एवं मत्स्यगंधा स्थित रक्तकाली चौसठ योगिनी मंदिर सहित अन्य मंदिर को आकर्षक साज सज्जा कर योग्य विद्वान पंडित द्वारा दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन किया गया।
पंडित कामेश्वर झा एवं रविन्द्र झा ने बताया कि मां दुर्गा का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। माता रानी के मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान हैं। इस वजह से मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां चंद्रघंटा की सवारी शेर है। जो दुष्ट असुरों का संहार एवं भक्तों को अभय प्रदान करती है।
वही उग्र कोप और रौद्रता युक्त माँ चन्द्रघण्टा अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाती है।उन्होने कहा कि संपूर्ण जगत की अधीश्वरी मां की महिमा स्वयं ब्रह्म जी ने नारद मुनि को देवीतत्व में वर्णन किया गया है। ज्ञात हो कि चैत्र नवरात्र के साथ साथ आज नहाय खाय के साथ चार दिवसीय चैती छठ अनुष्ठान प्रारंभ हुआ।