पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: शंकर सिंह से वैसे प्रत्याशियों को डर है, जो जनता को धोखा देते हैं, जीतने के बाद अपना घर भरते हैं। इसलिए वे धनबल से उन्हें हरबार हराते आ रहे है। लेकिन इसबार जनता ठान चूकी है, धनबल नहीं, बल्कि शंकर ही चाहिए। उक्त बातें पूर्व विधायक सह विधानसभा के निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की पत्नी सह जिप सदस्य सुनीता सिंह ने टीकापट्टी में अपने पति के चुनावी कार्यालय के उदघाटन में उपस्थित समर्थकों को संबोधित करते हुए कही। यह बता दें कि रूपौली विधानसभा में पूर्व विधायक बीमा भारती के त्यागपत्र देने के कारण यहां उपचुनाव होना है, जिसमें 10 जुलाई को मतदान होना है। सुनीता सिंह ने कहा कि शंकर सिंह से वैसे प्रत्याशियों को डर है, जो जनता को धोखा देते हैं, जीतने के बाद अपना घर भरते हैं। इसलिए वे धनबल से उन्हें हरबार हराते आ रहे है, परंतु जनता उन्हें उतना ही प्यार लगातार देती आ रही है। विरोधियों को पता है कि अगर एकबार शंकर सिंह चुनाव जीत जाएंगे, तब शायद उनकी कभी भी दाल नहीं गलेगी। अपने व्यवहार, लोगों की सेवा से वे इस कुर्सी पर हमेशा के लिए बैठ जाएंगे। कुछ इसलिए वे एकबार फिर से जाति-धर्म, धनबल के जोर पर अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, लेकिन इसबार जनता ठान चूकी है, धनबल नहीं, बल्कि शंकर ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे स्वयं अनुभव करें जो जीतकर गया, वह फिर जनता के हित के लिए कभी ना आया और ना ही सोचा। बस लोगों को लूटकर अपनी संपत्ति बनाने में लगे रहे। याद करें, कब आपके साथ यहां की विधायक उनके साथ रहीं। 24 सालों से जाति-धर्म का नारा देकर चुनाव जीतती रही हैं, परंतु वह जनता को अकेला छोड, सालों तक गायब रहती रहीं। प्रखंड, अंचल में काम करवाने जानेवाले व्यक्ति पर क्या बीतती है?, यह किसी से छूपी नहीं है। कभी भी अधिकारियों से यह नहीं पूछा गया कि उनकी जनता के साथ ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है? बाढ में जनता डूबती रहती है, परंतु उनके मुंह तक एक अनाज का दाना तक नहीं पहुंचाया जाता है। सैकडो एकड गरीबों की जमीन पर कुंडली मारकर बैठी हैं, फिर भी अपने को जनता का सेवक कहती हैं। दो भाईयों में झगडा लगाकर उनकी जमीन को हडपना उनकी नियति बन गई है। कुछ इसी का परिणाम हुआ कि उंचा ख्वाब देखनेवाली विधायक को लोकसभा चुनाव में जनता ने उन्हें मात्र 11 हजार वोटों पर निबटा दिया।
दूसरी ओर राजग गठबंधन से जदयू के जो प्रत्याशी हैं, वे एक ऐसे हारे हुए व्यक्ति हैं, जिन्हें पंचायत के लोगों ने उन्हें नाकार दिया। अगर वे इतना ही समाजसेवी होते, तो निश्चित रूप से वे कम-से-कम अपने पंचायत में लगातार जीत हाशिल कर रहे होते। जनता देख रही है, लोग जनता की सेवा करने नहीं, बल्कि अपना घर भरने के लिए ही विधायक बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शंकर सिंह आजतक कभी भी जनता की सेवा से मुंह नहीं मोडा है, ना ही सेवा करने में उनकी जाति या धर्म पूछा है। बस वे एकबार अपील करती हैं कि वे शंकर सिंह को एकबार मौका दें, अगर उनकी सेवा में वे सफल नहीं हुए, तो वे अगले साल होनेवाले चुनाव में हरा देंगे। इस अवसर पर हजारो की संख्या में क्षेत्र के समर्थक उपस्थित थे।
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