पूर्णिया: बिहार कृषि विश्व विद्यालय सबौर के कुलपति डा0 डी0 आर0 सिंह के निर्देश पर कृषि स्नातक के छात्र-छा़त्राओं के व्यक्त्वि विकास हेतु भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के प्रभारी डॉ0 पंकज कुमार यादव की देखरेख में विश्व दुग्ध दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के सह अधिष्ठाता -सह- प्राचार्य डा० पारस नाथ ने किया। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्राचार्य डा० पारस नाथ ने छात्र/छात्राओं को विश्व दुग्ध दिवस की महत्व पर चर्चा करते हुए यह बताया कि उन्होंने बताया कि खेती एवं पशुपालन का आपस में परस्पर सम्बंध है। वर्ष 2023 के थीम पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि दुग्ध उद्योग के द्वारा हम सभी को पौष्टिक खाद्य पदार्थ, जनमानस को आजिविका प्रदान करने के साथ साथ पर्यावरण को भी बचाने का कार्य कर रहे हैं। इस दिवस को पूरे विश्व में मनाया जाता है क्योकि आज के ही दिन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा वर्ष 2001 में विश्व दुग्ध दिवस कार्यक्रम के आयोजन की शुरूआत की गई थी। इसका उद्देश दुध के महत्व के बारे मे लोगो को जागरूक करना एवं डेयरी उद्योग को बढावा देना है क्योकि दुग्ध को संपूर्ण आहार का स्थान प्राप्त है। प्राचार्य ने सभी प्रतिभागियों को यह संदेश दिया की भारत में दुध उत्पादन बढ़ाने में सहयोग हेतु आप सभी कृषि के छात्र होने के नाते अपने आस पास के किसानो को पशुपालन के लिए जागरूक करे। डा० नाथ ने बताया कि भारत में दुग्ध उत्पादन एवं श्वेत क्रान्ति के जनक डा० वर्गीज कुरियन थे। किसान एवं कृषि श्रमिक दोनो के लिए वर्तमान समय में अपने परिवार के स्वास्थ्य को बनाये रखना मुश्किल हो रहा है। पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन का सीधा सम्बन्ध कृषि एवं किसान से है। भारत में पहला डेयरी फार्म वर्ष 1913 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। भारत सरकार ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में दूध उत्पादन हेतु डेयरी उद्योग को प्राथमिकता दी थी। वर्ष 1970 में डा० वर्गीज कुरियन के कुशल प्रयास से आपरेशन फ्लड परियोजना आरम्भ हुई, जिसके अन्तर्गत हुए लाभ से कुल 100 डेयरी विकास परियोजनायें प्रारम्भ की गयी। वर्ष 1978 में आपरेशन फ्लड परियोजना का तीसरा चरण पूरा करते-करते डेयरी विकास एवं प्रसार वृहद स्तर तक पहूँचा। डा० वर्गीज कुरियन ने राष्ट्रीय डेयरी वोर्ड की स्थापना वर्ष 1970 में किया।
आपरेशन फ्लड परियोजना विश्व का बहुत बड़ा कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम की सफलता ने दूध की कमी से बेहाल भारत को सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बना दिया। इस परियोजना की सफलता से डा० वर्गीज कुरियन श्वेत क्रान्ति के जनक कहलाये। इस परियोजना की सफलता से भारत वर्ष 1998 में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त किया। भारत का कुल दुग्ध उत्पादन करीब 176.35 मिलियन टन प्रति वर्ष के साथ विश्व का प्रथम दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन का भारत 24 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन करता है। यदि आकड़ो पर नजर डाले तो वर्ष 1950-51 में कुल दुग्ध उत्पादन 17.4 मिलियन टन प्रति वर्ष था जो में बढ़कर 221.06 मिलियन टन पहुँच गया। राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के पदाधिकारी डा० पंकज कुमार यादव ने छात्र/छात्राओं को बताया कि 71 वर्षों में दुग्ध उत्पादन बढ़ा। भारत के विभिन्न राज्यों में दुग्ध उत्पादन क्रमशः सर्वाधिक उत्तर प्रदेश (18 :), राजस्थान (11 :), आन्ध्र प्रदेश (10 :), गुजरात (8 :), पंजाब (7 :), मध्य प्रदेश (6.6ः), महाराष्ट्र (6.5ः), हरियाणा (5.3ः), तमिलनाडु (5.2ः), बिहार (5.1ः) है। दुग्ध उत्पादन का उत्पादन के क्षेत्र में भारत में बिहार का स्थान दसवां है। डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पशुओं की महत्वपूर्ण भूमिका है, और पशुओं के दुग्ध उत्पादन की क्षमता आहार एवं चारे पर निर्भर करती है। इस लिए चारे वाली फसलों का भी अधिक उत्पादन करने की आवश्यकता है जिसके द्वारा फसलों को हरा चारा मिल सके एवं उनके गोबर से अच्छी खाद का निर्माण किया जा सके। इस अवसर पर महाविद्यालय के स्नातक कृषि प्रथम वर्ष के छात्र/छात्राओं में क्रमशः संगीता कुमारी, ऐष्वर्या रानी, साक्षी प्रिया, सलोनी कुमारी, कुमारी स्नेहा, निकिता भारती, चॉदनी कमारी, सोनम कुमारी, आकाष वासु, अभिषेक कुमार, अमरमणि कुमार, प्रवीर पटेल, कुणाल कुमार, मो० शाहिद हुसैन, मनीष रजक, राहुल कुमार, शुभम कुमार, नीतिश कुमार आदि के साथ साथ शिक्षकों, कर्मचारियों ने उत्साह पूर्वक विश्व दुग्ध दिवस में भाग लिया। इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य वैज्ञानिक डॉ० जनार्दन प्रसाद, डॉ० मिथलेश कुमार, डॉ० पंकज कुमार यादव, डॉ० अनिल कुमार, डॉ० तपन गराइ, डॉ० गोपाल लाल चौधरी, डॉ० पंकज कुमार मंडल एवं डॉ० विकाष कुमार के साथ साथ सहायक नियंत्रक, मनोज कुमार मिश्रा आदि ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना आकाष वासु ईकाई के पदाधिकारी ऐष्वर्या रानी द्वारा किया गया।
Tiny URL for this post: