पटना/पूर्णिया: Chhath Puja 2024 सूर्य उपासना का महापर्व छठ इस वर्ष 5 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होने वाले इस चार दिवसीय पर्व का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। आइए जानें इस विशेष दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण परंपराएं और रीति-रिवाज। पवित्र स्नान से होती है शुरुआत नहाय-खाय के दिन व्रती सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र जलस्रोत में स्नान करते हैं। जहाँ नदी उपलब्ध नहीं है, वहाँ घर पर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान किया जाता है। इस वर्ष सूर्योदय का समय प्रातः 6:39 और सूर्यास्त का समय सायं 5:41 निर्धारित है।
विशेष भोजन का महत्व नहाय-खाय में एक ही बार सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। इसमें मुख्यतः:
- कद्दू या लौकी की सब्जी
- चने की दाल
- चावल इन व्यंजनों को प्याज-लहसुन से दूर रखा जाता है। व्रती के भोजन के पश्चात ही परिवारजन प्रसाद ग्रहण करते हैं।
शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक पर्व की शुरुआत से पहले घर का विशेष शुद्धिकरण किया जाता है। रसोई के समस्त बर्तनों की विशेष सफाई की जाती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, विशेषकर अन्न और वस्त्र दान किए जाते हैं।