कटिहार: Filariasis जिले में संभावित फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की पहचान करने के लिए जिले के सभी प्रखंडों और शहरी क्षेत्रों में 18 नवंबर से 27 नवंबर तक नाईट ब्लड सर्वे चलाया जाएगा। इस दौरान सभी प्रखंड के चिन्हित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा रात 08 बजे से 12 बजे तक जांच कैम्प का आयोजन कर क्षेत्र के 20 वर्ष से अधिक उम्र के सामान्य लोगों की कुछ बूंद ब्लड सैंपल इकट्ठा किया जाएगा। सभी ब्लड सैंपल को प्रखंड स्तर पर माइक्रोस्कोप से जांच करते हुए संबंधित व्यक्ति के शरीर में मिक्रोफाइलेरिया होने की पहचान की जाएगी। इसके लिए सभी प्रखंड के लैब टेक्नीशियन को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच), पूर्णिया में विशेषज्ञ माइक्रोबायोलॉजिस्ट द्वारा आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण में सभी लैब टेक्नीशियन को नाईट ब्लड सर्वे के दौरान लोगों के ब्लड सैंपल लेते हुए उसमें उपस्थित माइक्रो फाइलेरिया की पहचान करने की आवश्यक जानकारी दी गई है। नाईट ब्लड सर्वे में जांच करवाने पर लोगों के शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होते ही संबंधित व्यक्ति को आवश्यक इलाज सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इससे संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकेंगे।
- सभी प्रखंड के दो चिन्हित क्षेत्रों में रात 08 बजे से 12 बजे तक लगाया जाएगा जांच कैम्प :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह ने बताया कि फाइलेरिया के संभावित मरीजों की पहचान के लिए जिले के सभी प्रखंडों के दो चिन्हित क्षेत्रों में 18 नवंबर से 27 नवंबर तक नाईट ब्लड सर्वे का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए सभी प्रखंड दो क्षेत्र चिन्हित किये गए हैं। इसमें एक सेंटिनल क्षेत्र है जहां पहले से ही फाइलेरिया के मरीज उपलब्ध हैं जबकि दूसरा रेंडम क्षेत्र है जहां फाइलेरिया ग्रसित मरीज होने की संभावना है। सभी क्षेत्रों से कम से कम 300 लोगों के ब्लड सेम्पल इकट्ठा किये जायेंगे। सभी ब्लड सेम्पल की प्रखंड अस्पताल में जांच करते हुए लोगों के शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया की पहचान की जाएगी। माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि सामान्य व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान रात में ही हो सकता है क्योंकि रात में ही किसी व्यक्ति का शरीर आराम की अवस्था में रहता है। ऐसे समय में ही शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया खून में एक्टिव अवस्था में होते हैं। इस समय जांच करने से उनमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है जिसे मेडिकल सहायता प्रदान करते हुए सुरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को डब्लूएचओ, पिरामल फाउंडेशन स्वास्थ्य और सीफार द्वारा आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराई जा रही है।
- कुछ बूंद खून से पता चलेगा संबंधित व्यक्ति के अंदर माइक्रो फाइलेरिया है की नहीं :
डॉ सिंह ने बताया कि सभी प्रखंड के लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षित करते हुए बताया गया है कि नाईट ब्लड सर्वे के दौरान माइक्रो फाइलेरिया की पहचान के लिए किस तरह से सामान्य लोगों का कुछ बूंद ब्लड सेम्पल स्लाइड में लिया जाता है। सही तरीके से ब्लड सेम्पल लेने के बाद स्लाइड को 24 घंटे के अंदर के अंदर हेमोग्लोबनाइज किया जाएगा। उसके बाद ब्लड सेम्पल स्लाइड को धूप में सुखाने के बाद माइक्रोस्कोप में जांच करते हुए खून में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया की पहचान सुनिश्चित की जाएगी। खून में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हुए फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित किया जा सकेगा।
- नाईट ब्लड सर्वे के लिए बनाई गई है चार सदस्यीय टीम :
भीडीसीओ एन के मिश्रा ने बताया कि नाईट ब्लड सर्वे के लिए सभी प्रखंडों में चार सदस्यीय टीम बनाई गई है जिसमें बीसीएम, लैब टेक्नीशियन, फाइलेरिया कर्मी या एनभीबीडीएस कर्मी एवं स्थानीय आशा कर्मी उपस्थित रहेंगे। इसके साथ साथ सभी क्षेत्रों के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी पूर्व में ही इसकी जानकारी उपलब्ध कराई गई है जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ब्लड सैंपल देने के लिए जागरूक किया जा सके। जिला स्तर पर भी टीम बनाया गया है जिसके द्वारा क्षेत्र का भ्रमण कर नाईट ब्लड सर्वे का निरक्षण किया जाएगा। नाईट ब्लड सर्वे में उपलब्ध रिपोर्ट के आधार पर सम्बंधित प्रखंड में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस दौरान आशा कर्मियों द्वारा लोगों को घर घर पहुँचकर फाइलेरिया से सुरक्षा की दवा खिलाई जाएगी ताकि लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सके।