सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA NEWS मैथिली,हिन्दी एवं बंगला के सुप्रसिद्ध लेखक स्व राजकमल चौधरी के 95 वें जयन्ती पर शुक्रवार को लहटन चौधरी इन्टर महाविद्यालय पस्तवार में उनके जीवन पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें उपस्थित विद्वानों ने कहा कि राजकमल चौधरी की सभी रचनाओं में सौ साल आगे की दृष्टि परिलक्षित होता है। मैथिली के व्याख्याता मदन मोहन ठाकुर के अगुवाई में प्रथम सत्र में स्व लेखक के तैल चित्र पर बुद्धिजीवियों ने माल्यार्पण किया। साहित्यकार स्व राजकमल चौधरी के जीवनी तथा लेखनी पर प्रकाश डालते प्राचार्य सुभाष चन्द्र झा, प्रो अशोक राय, दिलीप दत्त, रंजीत कुमार राय, नरेन्द्र कुमार खा,रामनरेश चौपाल, कुमार ओकेश ने कहा कि महज 37 वर्ष के अल्पायु में साहित्य के क्षेत्र में जितनी बड़ी लकीर राजकमल चौधरी ने खींची उतनी बड़ी लकीर लेखक 70 वर्ष के जीवनकाल में पुरा कर सके।
लोगों ने कहा कि सबसे बड़ी खासियत कवि स्व चौधरी के लेखनी में तब पता चलता है जब इनके द्वारा लिखी गई कोई भी रचना को पढ़ना प्रारंभ करेंगे तो एक पंक्ति पढ़ते ही आप में बेचैनी छा जाएगा और आप बिना पढ़े रह नहीं पाएंगे। लोगों ने कहा कि एक लेखक के रुप में उन्होंने जितनी बड़ी ख्याति प्राप्त की उतना ही उन्होंने अपने पैतृक जिला सहरसा में गरीब, निस्सहाय, निर्वल, दुर्बल की सहायता करते प्राप्त किया।लोगों ने कहा कि एक वार राजकमल जी गांव में थे,महिषी प्रखंड क्षेत्र में अकाल पड़ा और उन्होंने गोदाम का ताला तोड़कर अनाज सरकारी दर पर बेच दी।
सरकारी अनाज गरीबों के बीच बांटकर राशि जब तात्कालीन अधिकृत अधिकारी को देने गया तो राशि देखकर उनका भी होश उड़ गया और उन्होंने कहा कि हम इस लिए प्रसन्न हैं कि इसमें से एक भी रुपया इधर उधर नहीं हुआ। उनके चरित्र से लोगों ने उनके पदचिन्ह पर चलने का संकल्प लिया। मौके पर मनीषा कुमारी, राधेश्याम पासवान, कैलाश गुप्ता, सुरेश पासवान, अरविन्द कुमार राय, भरत महतो, कलानंद पासवान आदि उपस्थित थे।