पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: PURNIA NEWS कभी मोहनबगान के खिलाड़ियों को अपने ऐतिहासिक मैदान पर खेलानेवाली तथा फूटबाॅल के खिलाड़ियों का कारखाना कही जानेवाली टीकापट्टी की धरती पर एक भी फूटबाॅल खिलाड़ी नहीं बचेंगे, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रखंड ही नहीं, बल्कि पूरे सीमांचल में ऐसा लग रहा है आमवर्ग के युवाओं ने फूटबाॅल खेल से अपना मुंह मोड लिया है तथा वे अब दूसरे खेल की राह पकड लिये हैं। यह तो यहां के आदिवासी युवकों की कृपा कहें तो कम नहीं होगा कि उन्होंने इस खेल को जिंदा रखा है।
साथ ही टीकापट्टी की धरती को भी धन्यवाद देना होगा कि आज भी यह धरती फूटबाॅल खेल को जिंदा रखने का प्रयास कर रही है। यह बता दें कि टीकापट्टी के ऐतिहासिक हाईस्कूल के मैदान में पांच दिवसीय महावीर कप फूटबाॅल मैच का शुभारंभ 21 दिसंबर से हो गया है। यहां चार टीमें भाग लीं, जिसमें सभी युवा खिलाडी आदिवासी थे। ऐसा अंदाजा लग रहा है कि आनेवाली और चार पुरूष एवं आठ महिला टीमों में भी आदिवासी ही होंगे। जो भी हो ये आदिवासी गरीब होते हुए भी इस खेल को जिंदा रखे हुए हैं। परंतु सबसे दुख की बात यह है कि जब इन आदिवासी खिलाडियों के खेल को गहराई से देखा गया, तो यह अंदाजा लगा कि ये प्रशिक्षण के अभाव में अपना खेल सही रूप से नहीं खेल पा रहे हैं। इनमें पासिंग तथा नियमित खेल की कमी देखी गई। कोई भी खिलाडी सही शाॅट नहीं दे पा रहा था।
यहां के पुराने खिलाडियों सह शिक्षाविद गिरवर मंडल, धीरेंद्र कुमार, विनोद कुमार मंडल, योगेंद्र मंडल, राजेंद्र मंडल, बेदानंद यादव, मिथिलश विद्यार्थी आदि ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि टीकापट्टी की धरती आज भी प्रेरणाश्रोत बनी हुई है, परंतु यहां की माटी अब फूटबाॅल खिलाडी को जन्म देना बंद कर रही है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह आदिवासी खिलाडियों के प्रति गंभीर हो तथा अर्थाभाव, बिना मैदान के अपनी खेल की प्रतिभा के प्रति जागरूक रहनेवालों के लिए विशेष अभियान चलाए तथा उन्हें प्रशिक्षित करे। इनमें काफी प्रतिभा भरी हुई है, अगर इन्हें सही रास्ता मिला तो, ये निश्चित ही अपने देश का नाम रोशन करेंगे।