नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी आज अपना 139वां स्थापना दिवस मना रही है। इस मौके पर पार्टी नागपुर में एक बड़ा आयोजन करने जा रही है।जिसमें दिग्गज नेता जुट रहे हैं। पार्टी ने महारैली के लिए ‘तैयार हैं हम’ स्लोगन भी दिया है।कांग्रेस की यह मेगा रैली इस मायने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका आयोजन नागपुर में हो रहा है, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय और ऐतिहासिक स्थल ‘दीक्षाभूमि’ स्थित है। महारैली के साथ कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करेगी।
नागपुर में रैली बीजेपी सरकार को देगी कड़ा मैसेज
महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का कहना है कि वह संघ की जमीन पर बीजेपी को कड़ा जवाब देंगे। कांग्रेस नेता चव्हाण का कहना है कि मौजूदा बीजेपी सरकार बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की आत्महत्या सहित तमाम समस्याओं को हल करने और लोगों को राहत देने में विफल रही है। कांग्रेस इस रैली के जरिए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को कड़ा मैसेज देना चाहती है। यही वजह है कि रैली के लिए नागपुर को चुना गया है। पार्टी ने पहले ही नारा ‘तैयार हैं हम’ दिया है, जो इरादों को स्पष्ट कर रहा है।
इतिहास अपने आपको दोहरायगा-नाना पटोले
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने बुधवार को रैली स्थल पर संवाददताओं को संबोधित करते हुए कहा, देश के लोगों के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है।जब भी देश पर संकट आया, कांग्रेस आगे आई और देश में एक बड़ा बदलाव आया। उन्होंने कहा, आपातकाल के बाद (तत्कालीन प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी ने नागपुर में जनसभा की थी, और कांग्रेस को विदर्भ की सभी सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस नेता ने कहा, इतिहास अपने आपको दोहरायगा और देश में एक बड़ा परिवर्तन होगा।
मंच पर होगा गांधी परिवार
ये पहली बार है कि नागपुर में सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी एक साथ दिखाई देने वाले हैं।कांग्रेस राज्य के सभी मुख्यमंत्री भी रैली में मौजूद रहने वाले हैं। रैली में 247 प्रमुख नेता, अधिकांश सांसदों और 600 में से लगभग 300 विधायकों के शामिल होने की संभावना है। पार्टी ने उम्मीद लगाई है कि इस महारैली में कम से कम 10 लाख लोग एकत्रित होंगे।
लोकसभा चुनाव की बनेगी रणनीति
वहीं, नागपुर में महारैली के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी महासचिवों और सभी प्रदेश प्रभारियों के साथ बैठक भी करेंगे। इस बैठक में लोकसभा चुनाव की रणनीति पर मंथन किया जाएगा। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती उत्तर भारत के राज्यों में जीत हासिल करना है, जिस पर सबसे ज्यादा फोकस किया जा रहा है। पार्टी सीटों के बंटवारे को लेकर यूपी, बिहार जैसे राज्यों के क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत कर रही है।