पूर्णिया: बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के माननीय कुलपति डॉ॰ डी॰ आर॰ सिंह के निर्देश पर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णियाँ में विकसित भारत एट 2047 एवं मेरी माटी मेरा देश जागरूकता अभियान अंतर्गत एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण-सह-भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) अररिया तथा महाविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। इस कार्यक्रम अध्यक्षता भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णियाँ के प्राचार्य डॉ पारस नाथ ने किया। इस कार्यक्रम में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) अररिया के अन्तर्गत निवेश डीलरों के लिए कृषि विस्तार सेवा डिप्लोमा के 40 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया तथा प्रक्षेत्र परिभ्रमण भी कराया, जिसमें प्रमुख रुप से प्रशिक्षणार्थियों को कृषि मेटरोलोजिकल प्रयोगशाला, मृदा का स्वास्थ्य प्रबधंन, जिले की प्रमुख फसलों की कृषि पद्धतियों, सिंचाई की तकनीक और उसका प्रबन्धन, कीट एवं रोग एकीकृत प्रबन्धन, फसलों का बीज उत्पादन तकनीक, वर्षा आधारित कृषि प्रणाली तकनीक एवं बागवानी फसलों के बारे में विस्तार पूर्वक महाविद्यालय के विभिन्न विशेषज्ञ वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी प्रदान की गई। प्रशिक्षणार्थियों को कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ के कृषि प्रक्षेत्र एवं महाविद्यालय के मृदा विज्ञान प्रयोगशाला के साथ साथ विभिन्न इकाइयों का भ्रमण तथा प्रायोगिक कार्य कराया गया।
भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णियाँ के प्राचार्य डॉ पारस नाथ ने अपने संबोंधन में कहा कि समय के साथ हम सभी को खेती में रासायानिक उर्वरको को कम करते हुए जैविक खाद को अपनाने कि जरूरत है तभी जाकर वर्ष 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार होगा, साथ ही साथ उन्होनें अपने सम्बोधन में प्रषिक्षणार्थियों को बताया कि आज आवश्यकता है कि फसल अवशेष का समुचित प्रबंधन करें और किसी भी तरीके से फसल अवशेष को जलाने से बचने का प्रयास करें साथ ही साथ किसानों को इसके हानिकारक प्रभाव के बारे में जागरूक करें क्योंकि फसल अवषेष को जलाने से पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है जो हम सभी के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। विश्वविद्यालय प्राध्यापक-सह-मुख्य वैज्ञानिक वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान डॉ जर्नादन प्रसाद द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है, मृदा स्वास्थ्य कार्ड की प्रमुख विशेषताएँ, मृदा स्वास्थ्य कार्ड को अपनाने के फायदे, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना मृदा स्वास्थ्य कार्ड के उपयोगिता के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की। मृदा वैज्ञानिक डा॰ पंकज कुमार यादव के द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को मृदा नमुना प्राप्त करन के तरीके, मृदा परीक्षण की तकनीक एवं वर्तमान में मृदा परीक्षण की उपयोगिता पर चर्चा की एवं मृदा परीक्षण प्रयोेगशाला के महत्वपूर्ण उपकरणों से सम्बन्धित व्याख्यान भी दिया। साथ ही साथ उन्होने निवेश डीलरो को विभिन्न रासायनिक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग की विधि एवं मात्रा पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए बताया कि उर्वरक संस्तुति से पूर्व मृदा परीक्षण कराना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
जिससे मिट्टी की भौतिक, रासायनिक एंव जैविक गुणों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। आने वाले समय में मिट्टी के स्वास्थ्य के गिरते स्तर को सुधारने के लिए सन्तुलित उर्वरक प्रयोग के सिद्धान्त की आवश्यकता है।कीट वैज्ञानिक डॉ चुन्नी कुमारी द्वारा विभिन्न प्रकार की कीटों की पहचान, उसके द्वारा पहुचाये जाने वाले नुकसान एवं नियंत्रण पर जानकारी प्रदान की गयी। इस अवसर पर डॉÛ अनिल कुमार ने मखाना उत्पादन तकनीक के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए बताया कि मखाना एक ऐसी फसल है जिसमें किसी भी तरीके का फसल अवशेष नहीं बचता कि किसान उसे जलाये। मखाना गुर्री की बहुराई के बाद पूरा अवषेष मिट्टी में सड़गल कर पोषक तत्व का रूप धारण कर लेता है। महाविद्यालय के प्रभारी कृषि प्रक्षेत्र डॉ राधेष्याम द्वारा प्रतिभागियों को खरीब फसलो में धान, मक्का, आदि पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गई। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के वैज्ञानिक डा॰ जर्नादन प्रसाद, डा॰ पंकज कुमार यादव डा॰ अनिल कुमार, डॉ राधेश्याम, डॉ रूबी साहा, डा॰ तपन गोराई, डॉ पंकज कुमार मंडल, डॉ विकास कुमार, डॉ चुन्नी कुमारी के साथ कर्मचारियों में कैलाश मंडल, गजेन्द्र मंडल, श्रवण कुमार, चन्द्रमणि चौधरी आदि ने उत्साह पूर्वक भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाया। इस अवसर पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) अररिया के कृषि तकीनिक प्रबंधक के साथ अररिया के विभिन्न प्रखण्डों के कुल 40 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया जिसमें क्रमशः अरूण कुमार साह, अनिल कुमार मंडल, सुशील कुमार झा, नन्द किशोर चौधरी, बिजय कुमार साह, राजेन्द्र मिश्रा, राम स्वरूप साह, मो0 नईम, दीपक कुमार मंडल, अकबर अली, धनंजय कुमार आदि ने भाग लिया। एक दिवसीय कृषि तकनीक प्रशिक्षण-सह-भ्रमण कार्यक्रम का मंच संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन मृदा वैज्ञानिक डा॰ पंकज कुमार यादव द्वारा किया गया।