नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी आज सुबह ही से भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर माहौल बनाने में जुटी थी। न्याय यात्रा शुरू होने से पहले एक ट्वीट ने पार्टी को चिंता में डाल दिया। महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेता और राहुल गांधी के करीबी माने जने वाले मिलिंद देवड़ा ने एक ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस पार्टी से उनका 55 साल पुराना रिश्ता आज समाप्त हो रहा है। ये पहली बार नहीं है जब किसी बड़े नेता और राहुल गांधी के करीबी ने पार्टी को झटका दिया है। 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की केंद्र में सरकार आने के बाद कांग्रेस के एक-एक कर बड़े नेता पार्टी से किनारा कर रहे हैं। खासकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा है। इनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह, ग़ुलाम नबी आजाद से लेकर कपिल सिब्बल तक शामिल हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान खींचा है राहुल गांधी के करीबी युवा नेताओं ने।
एक दौर था जब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को युवाओं की पार्टी कहा जाता था। वजह थे राहुल के साथ जुड़े वे पांच नेता, जो उनकी टीम के अभिन्न अंग माने जाते थे और हर छोटे-बड़े फैसले में गांधी परिवार के साथ रहते थे। हालांकि, 2014 में भाजपा के केंद्र में सरकार बनाने के बाद एक-एक कर के इन युवा नेताओं ने राहुल से दूरी बना ली है। इनमें सबसे ताजा नाम महाराष्ट्र कांग्रेस के अहम चेहरे और युवा नेता मिलिंद देवड़ा का है, जिन्होंने रविवार को पार्टी से परिवार का 55 साल पुराना नाता खत्म करने का एलान किया। 55 सालों से कांग्रेस के साथ रहे प्रदेश के बड़े नेता मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। अपने इस्तीफे की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए दी। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के संगठन में इस बिखराव को लेकर एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गई है कि हाल के दिनों में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पार्टी का साथ क्यों छोड़ दिया?
ज्योतिरादित्य सिंधिया हुए जुदा
इनमें सबसे पहला नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया का। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ मध्य प्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसकी वजह से पार्टी की सूबे में सरकार गिर गई थी और बीजेपी दोबारा सत्ता में लौटी थी। सिंधिया ने कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी का दामन थामा। वह इस समय केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। सिंधिया के बारे में कहा जाता है कि वे राहुल गांधी के बेहद करीबियों में से एक रहे हैं।
जितिन प्रसाद ने छोड़ा साथ
उत्तर प्रदेश में बड़े ब्राह्मण चेहरा कहे जाने वाले जितिन प्रसाद ने जून 2021 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा जॉइन कर ली थी। उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस को किसी व्यक्ति या किसी पद के लिए नहीं बल्कि इसके घटते वोट आधार और पार्टी व उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच बढ़ती दूरी के कारण छोड़ा है। जतिन प्रसाद का परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा हुआ था। वह खुद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य रहे। वह कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। जतिन ब्राह्मण परिवार से आते हैं और यूपीए में एक बड़ा चेहरा राजनीतिक चेहरा हैं। वह राहुल गांधी के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं। इसके बावजूद भी उन्होंने कांग्रेस से निकलना बेहतर समझा. वह इस समय यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं।
आरपीएन सिंह ने दिया झटका
जनवरी 2022 में आरपीएन सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को बड़ा झटका लगा था। यहां तक पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया था। पार्टी छोड़ने के बाद आरपीएन सिंह का कहना था कि उन्होंने 32 सालों तक कांग्रेस में ईमानदारी से मेहनत की। हालांकि उन्होंने आरोप लगाया था कि जहां से उन्होंने शुरुआत की थी वो पार्टी अब बची नहीं और न ही उस तरह की सोच बची है। आरपीएन सिंह कुशीनगर के रहने वाले हैं और सूबे का एक बड़ा राजनीतिक चेहरा माने जाते हैं और उनकी युवाओं में अच्छी पकड़ है. आरपीएन सिंह को भी राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।
राहुल गांधी के बेहद करीबी थे मिलिंद
मिलिंद कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी हुआ करते थे। महाराष्ट्र की राजनीति में देवड़ा परिवार की अलग ही पहचान है। इस परिवार का कोई न कोई सदस्य दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से पिछले चार दशकों से चुनाव लड़ता आ रहा है। मिलिंद देवड़ा दो बार सांसद रह चुके हैं। उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा भी चार बार इसी क्षेत्र के सांसद चुने गए थे। यह सीट देवड़ा परिवार की परंपरागत सीट रही है इसलिए मिलिंद उसे कांग्रेस के कोटे में चाहते हैं। मगर, उद्धव सेना इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, सीट बंटवारे को लेकर मिलिंद देवड़ा कांग्रेस और इंडिया से नाराज हैं। उनकी नाराजगी की अहम वजह यह है कि कांग्रेस नेताओं ने उद्धव के सामने अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा।