दिल्ली: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से भुनाने की तैयारी में हैं। इसके अलावा भी पार्टी के पास एक बडा मुद्दा है, नागरिक संशोधन अधिनियम यानी सीएए। पहले ही ये चर्चा थी की तीन पड़ोसी मुस्लिम देशों से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता में सहूलियत देने वाला कानून, सीएए लोकसभा चुनाव से पहले ही लागू हो सकता है। केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के बयान ने इस बात को बल दे दिया है। केन्द्रीय मंत्री ने दावा किया है कि देश में अगले एक सप्ताह में सीएए लागू हो जाएगा। अगर शांतनु ठाकुर का दावा सच होता है और सीएए लागू हुआ तो यह लोकसभा चुनाव का भी बड़ा मुद्दा बनेगा। बीजेपी इसे अपने पक्ष में भुनाने का भरपूर प्रयास करेगी। शांतनु ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक जनसभा में भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं मंच से ये गारंटी दे रहा हूं कि अगले 7 दिनों में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए लागू होगा। उन्होंने इस कानून को लेकर पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस भाषण का भी जिक्र किया जिसमें अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को ‘देश का कानून’ बताया था और कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है।
शाह ने हाल ही में दिए थे संकेत
बता दें कि बीते साल दिसंबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को ‘देश का कानून’ बताते हुए कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीएए को लेकर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया था। शाह ने कहा था, “कभी-कभी वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश करती हैं कि देश में सीएए लागू होगा या नहीं। इस पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सीएए देश का कानून है और कोई भी इसको लागू करने से नहीं रोक सकता है। यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।
क्या है सीएए कानून
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार यह कानून लेकर आई थी। इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी। यह कानून दिसंबर 2019 में संसद से पास हुआ था। संसद से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। इसके बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हुआ था। दिल्ली में भी कई महीनों तक इसे लेकर धरना प्रदर्शन चला था।
सीएए के विरोध में सुलग गया था देश
कानून पारित होने के तुरंत बाद देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मुसलमानों, सिविल सोसाइटी के तबके और कुछ संगठनों ने सीएए का यह कहकर विरोध किया कि इसमें मुसलमानों को बाहर रखा गया है। लंबे समय तक चले विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर कानून लागू करने के लिए सरकार ने नियम ही नहीं बनाए और इसके लिए बार-बार समय बढ़ाने का अनुरोध करती रही।