सहरसा/अजय कुमार : गायत्री शक्तिपीठ में रविवार को व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन किया गया। व्यक्तित्व परिष्कार सत्र को संबोधित करते हुए डा अरुण कुमार जायसवाल ने विचार और कर्म की सही दिशा का चुनाव की महत्व को बताते हुए कहा एक प्रश्न सबके मन में उठता है जबतक बुद्ध, महावीर की तरह अंदर से नहीं हो जाएंगे तबतक जरूरत की चिंता जरूर सताएगी। पं पुज्य गुरुदेव कहते है, जरूरत एक भ्रांति है, फिर भी जरूरत की चिंता हम करते हैं।
सच ये है जीवन की 99% घटनाएं आपके इच्छा के बिना घटित होती है।क्या जरूरत आपकी ईच्छा के बिना पूरी होगी।अगर वो जरूरत है तो जरूर पूरी होगी।फिर भी हम चिंता क्यो करते हैं।चिंता मात्र अहंकार और अज्ञान के कारण होती है।जब आप चिंता करते हैं मैं हूं।
इसका मतलब प्रकृति और परमात्मा आपका पोषण करने में असमर्थ है। वो आपकी चिंता नहीं कर रहे हैं। भगवान पर आपको अविश्वास है। चिंता का मूल कारण अभिमान और अज्ञान है।भगवान ने मनुष्य का जीवन दिया है अपना कर्म भलीभांति करना चाहिए। बुद्धिमत्ता से कर्म करना चाहिए। अपना धर्म का पालन करना चाहिए। धर्म है प्रकृति के नियमों का पालन।
उन्होंने बताया कि 16 जून को शक्तिपीठ में गंगा दशहरा, गायत्री जयन्ती एवं पं पुज्य गुरुदेव का महाप्रयाण दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर आरती डीएम खगड़िया,शशांक-सिविल जज, खगड़िया, पूनम-सहायक प्रोफेसर ईन्जीनियरिंज कालेज उपस्थित थे। इनका सम्मान तिलक लगाकर मंत्र दुपट्टा से सम्मानित किया गया।
वही आरती ने युवाओं से कहा-सफलता की यात्राा में स्पष्ट मार्गदर्शन डाक्टर अरुण कुमार जायसवाल से मिला।गायत्री मां का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यहां आकर मैं बहुत खुश हूं।शशांक ने कहा-मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त होगी। पूनम ने कहा- व्यक्तित्व परिष्कार सत्र से बहुत कुछ सीखने की मिलता है।