पूर्णिया: “बाल कल्याण पर केंद्रित ग्राम पंचायत केवल पंचायती राज विभाग का कार्य नहीं है।यह एक अंतर-विभागीय कार्य है जिसमें सभी विभागों को निष्ठा के साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है।श्री मिहिर कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार ने पूर्णिया और कोसी प्रमंडल में बाल हितैषी ग्राम पंचायत का शुभारंभ करने के दौरान ये बातें कही। इस अवसर पर बाल हितैषी ग्राम पंचायत का दिशा-निर्देश, आधारभूत रिपोर्ट और संबंधित सामग्रियां भी जारी की गई। बिहार सरकार ने, यूनिसेफ बिहार के सहयोग से पूर्णिया और अररिया के 10 ग्राम पंचायतों में बाल हितैषी ग्राम पंचायत का पायलट परीक्षण किया। पायलट परीक्षण से प्राप्त अनुभवों को बिहार के सभी ग्राम पंचायतों में लागू किया जाएगा, इसकी शुरूआत कोसी और पूर्णिया प्रमंडल के सभी पंचायतों से की जाएगी और इन दोनों प्रमंडल के ग्राम पंचायतों को बाल हितैषी बनाया जाएगा। श्री सिंह,अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र के पैनल में यूनिसेफ बिहार फील्ड ऑफिस की प्रमुख, सुश्री मार्गरेट ग्वाडा, सुश्री नीलम चौधरी, कोसी प्रमंडल आयुक्त, श्री संजय दुबे, पूर्णिया प्रमंडल आयुक्त, श्री कुन्दन कुमार,ज़िलाधिकारी पूर्णियां, जिलाधिकारी कटिहार एवं किशनगंज तथा यूनिसेफ के वरिष्ठ सलाहकार,श्री आर. के. महाजन और यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक, श्री शिवेंद्र पांडेय शामिल थे। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), जिन्हें 2015 में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया था, जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सार्वभौमिक ढांचा प्रदान करता है।
भारत एसडीजी को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए नीति आयोग के ज़रिए 2019 में ‘स्थानीय स्तर पर एसडीजी – भारत से प्रारंभिक पाठ’ दस्तावेज़ जारी किया, जिसमें इस तथ्य को उजागर किया गया कि स्थानीय स्वशासन संस्थानों को सशक्त बनाना, समुदाय के स्वामित्व और जमीनी स्तर पर एसडीजी के एकीकरण के लिए सबसे प्रभावी रणनीति है। 2021 में, भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायती राज संस्थानों में एसडीजी के स्थानीयकरण के लिए विशेषज्ञ समूह की एक रिपोर्ट जारी की गई। नौ विषयों की पहचान की गई, जो एसडीजी के साथ संरेखित थे, जिनमें से तीन विषय बाल हितैषी ग्राम पंचायतों पर केंद्रित थे। इस संदर्भ में, भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय के निर्देशानुसार, बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग ने यूनिसेफ बिहार के सहयोग से पूर्णिया और अररिया के 10 ग्राम पंचायतों में बाल हितैषी ग्राम पंचायत की पहल के उद्देश्य से पायलट परीक्षण किया। पायलट परीक्षण से प्राप्त अनुभवों को सभी ग्राम पंचायतों में लागू किया जाएगा। अपने मुख्य संबोधन में, श्री सिंह, अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार ने कहा कि “बच्चों की आवाज़ों एवं मुद्दों को पहचानना एक महत्वपूर्ण विषय है, और मुझे खुशी है कि इस वर्ष यूनिसेफ के समर्थन से मेरा विभाग पूर्णिया और कोसी प्रमंडल के सभी ग्राम पंचायतों में बाल कल्याण केंद्रित इस पहल को लागू कर रहा है। श्री सिंह,अपर मुख्य सचिव पंचायती राज विभाग ने इस पहल को पायलट प्रोजेक्ट करने और दिशानिर्देशों तथा अन्य सामग्रियों को विकसित करने के लिए यूनिसेफ का धन्यवाद भी किया। श्री सिंह, अपर मुख्य,सचिव पंचायती राज विभाग बिहार द्वारा जिला पदाधिकारी पूर्णिया द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति गर्भावस्था के हजार दिनों के दौरान बच्चों एवं महिलाओं के स्वस्थ के प्रति सभी पंचायतों में चलाए जा रहे हैं अभियानों का प्रशंसा किया गया।
अपने संबोधन में, सुश्री मार्गरेट ग्वाडा, प्रमुख, यूनिसेफ बिहार ने बताया कि बाल हितैषी ग्राम पंचायत न केवल वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों और भारत सरकार की स्थानीयकरण पहलों से उत्पन्न एक आदेश है, बल्कि बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का एक तरीका भी है, जो राष्ट्र के भविष्य हैं। उन्होंने कहा, “हमारे कार्य बाल हितैषी ग्राम पंचायत बनाने के प्रयासों के माध्यम से समुदाय में सामाजिक जागरूकता और बच्चों की भलाई पर ध्यान केंद्रित करने का एक अवसर है। सुश्री ग्वाडा ने यह भी कहा कि इस वर्ष मई में यूनिसेफ ने भारत सरकार के साथ 75 वर्षों की साझेदारी का जश्न मनाया और आज एक बार फिर यूनिसेफ बिहार में बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के अपने संकल्प की पुष्टि करता है। इस कार्यक्रम में बच्चों और पंचायत प्रतिनिधियों ने बाल हितैषी ग्राम पंचायतों के अपने अनुभव साझा किया गया। इस कार्यक्रम में बिहार सरकार के अधिकारी, यूनिसेफ स्टाफ, पंचायत प्रतिनिधि, समाजिक प्रतिनिधिगण, विभिन्न क्षेत्रों के शोधकर्ता और मीडिया प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।