पूर्णिया,अभय कुमार सिंह : रूपौली के भौवा प्रबल पंचायत में कोसी कटाव से मझधार में फंसी बिंदटोली के लोगों की जिंदगी की नैया का कोई नहीं खेवनहार, आजतक नहीं मिल पाया है । इसके कारण कटाव का दंश झेल रहे बिंदटोली के आंगन में सदा से ही छलक रहे दर्द पर, किसी ने आजतक मरहम लगाना उचित नहीं समझा है । भौवा प्रबल पंचायत का बिंदटोली गांव, यहां के लोगों को प्रत्येक दिन अपने एक समय का पेट भरने के लिए दिन-रात एक करनी पड़ती है । आज भी इनके आंगन, इस बात के गवाह हैं कि ये कितने बेबस एवं सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं । यह बता दें कि मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में भागलपुर जिला की सीमा पर, बिहार की शोक कही जानेवाली कोसी नदी के किनारे वत्र्तमान स्थान से लगभग पांच किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में बिंदटोली गांव बसा करता था, जहां सिर्फ अतिपिछडा वर्ग के बिंद जाति के ही लोग रहते थे । इनका मुख्य पेशा बस मजदूरी करना, बड़े किसानों की जमीन पर बटाईदारी करना ही रहा है । कोसी की विकराल रूप, उनके जीवन की नैया को हमेशा ही मझधार में फंसाती रही है । आज यह स्थिति है कि वे पूरी तरह से कोसी के कटाव से विखर गए हैं । वे अब नदी किनारे से लगभग एक किलोमीटर उत्तर जंगलटोला-टोपड़ा सड़क मार्ग के दोनों किनारे रह रहे हैं । इनकी दुर्दशा देखते ही आंखों में किसी के आंसू निकल आते हैं, ऐसा लगता है कि सरकार किस विकास की बात करती है ।
इनके आंगन में बस अभाव-ही-अभाव दिखता है । दो जुन की रोटी के लिए दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है, इसके बाद भी उनकी जरूरत की चीजें उन्हें नसीब तक नहीं हो पाती हैं । बच्चों के शरीर पर कपड़े तक नही दे पाते हैं । बच्चों की शिक्षा तो काफी दूर की बात है । मौके पर इसलोक महतो, मानिक महतो आदि कहते हैं कि कोसी मईया अपने रहते उनकी जीवन की नैया पूरी तरह से डूबो दी है । सरकारी स्तर पर आजतक उनके लिए किसी भी कर्मी ने पुनर्वास के लिए कोई कदम नहीं उठाया है । जब-जब चुनाव आता है, बस वादे किये जाते हैं तथा जैसे ही चुनाव जीतकर जाते हैं, उन्हें इसी कोसी के मझधार में डूबने को छोड जाते हैं । पिछले 24 सालों से लगातार विधायक से मंत्री बनीं बीमा भारती, सांसद पप्पू यादव, पूर्व सांसद पप्पू सिंह, पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा चुनाव के समय पुनर्वास की घुट्टी सभी ने पिलाई, पर अपने वादे पर कोई कायम नहीं रहे । इधर सामाजिक कार्यकर्ता मो मुजाहिर आलम ने कहा कि इनकी हालत काफी गंभीर है, इन्हें तत्काल प्रभाव से इनके पुनर्वास की व्यवस्था सहित अन्य सहायता की जरूरत है । देखें इनकी जीवन की डूबती नैया को मझधार से कौन निकालता है ।