सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA LATEST NEWS एमएलटी कॉलेज के ललित नारायण मनोविनोद शाला मे रविवार को गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरू शिष्य परंपरा संवाद कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। गुरु शिष्य परंपरा संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन भु ना मंडल विश्वविद्यालय कुलपति प्रो डॉ विमलेंदु शेखर झा, पूर्व कुलपति प्रो डॉ.आर एन मिश्रा, कुलसचिव प्रो.डॉ.विपिन कुमार राय, अभिषद सदस्य प्रो.डॉ.रामनरेश सिंह एवं प्रधानाचार्य प्रो.डॉ.पवन कुमार के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। साथ ही गुरु वेदव्यास जी के तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इसके पूर्व मनोहर लाल टेकरीवाल के आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो.डॉ.विमलेंदु शेखर झा ने कहा महामहिम राज्यपाल के निर्देशानुसार गुरु पूर्णिमा के दिन महाविद्यालय में गुरु शिष्य परंपरा का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं का संवाद होना है। उन्होंने कहा उपनिषद से पूर्व से ही हमारे देश में गुरु शिष्य परंपरा कायम है। जो महान व्यक्ति या शिक्षक के सानिध्य में ज्ञान प्राप्त करता है वह सच्चा शिष्य कहलाता है। भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा का काफी महत्व है। प्रभु राम व प्रभु कृष्ण को भी शिक्षा ग्रहण हेतु गुरु के आश्रम में जाना पड़ा था। आज राजनीतिज्ञों के द्वारा हमें जाति, धर्म व वर्ग में बांट दिया गया है जो काफी दुखद है। उन्होंने कहा आजादी के अमृत काल में नई शिक्षा नीति लागू किया गया जो छात्र-छात्राओं के लिए काफी फायदेमंद है।
उन्होंने कहा सभी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य एक रोड मैप तैयार करें। छात्र जिस रूप में समझना चाहे उसे समझाने का प्रयास करें। सबसे मंद बुद्धि के छात्र को समझाने में सफल होने वाला ही असली शिक्षक है। महिला महाविद्यालय निशुल्क के बिना काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उसके लिए उस महाविद्यालय की कोष में सरकार से रुपया दिलाने का प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा युवा वर्ग अपनी ऊर्जा को सकारात्मक सोच में लगावें। गुरु व शिव में कोई भिन्नता नहीं। गुरु हमारे प्रेरणा स्रोत होते हैं। बिना अनुशासन के आप हमेशा असफल रहेंगे। अपने को परिश्रमी और मजबूत बनावें। केवल डिग्री लेने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। कड़ी मेहनत करें भविष्य आपके हाथ में है। शिक्षकों को भी अपना अवलोकन करना होगा। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि नियमित रूप से वर्ग में आवेंं अन्यथा परेशानी झेलनी पड़ेगी। महाविद्यालय के शिक्षक से ज्ञान अर्जित करें जो उनके करियर में काफी सहायक होगा। उन्होंने कहा सहरसा शहर के बीचो-बीच रेलवे ढ़ाला के कारण लोगों का कार्य अवरूद्ध हो जाता है। उन्होंने कहा मुझे आज रेलवे फाटक घंटों बंद रहने के कारण कार्यक्रम में आने में काफी लेट हुआ। पूर्व कुलपति डॉ.आर एन मिश्रा ने कहा गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। समझदारी व विस्तार से जानकारी के लिए गुरु के पास जाना ही होगा। केवल पुस्तक पढ़ने से ज्ञानी नहीं हो सकते। उन्होंने कहा आलोचना ही आविष्कार की जननी है। आलोचना से व्यक्ति में सुधार आता है। कुलसचिव प्रो.डॉ.विपिन कुमार राय ने कहा गुरु शिष्य परंपरा में भगवान शिव को गुरु माना गया है। धार्मिक पुस्तकों में भी गुरु का नाम वर्णित है।
जिन्होंने अपने शिष्य को ज्ञान बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा गुरु से शिष्य यदि आगे बढ़ते हैं तो गुरु को बहुत प्रसन्नता होती है। अभिषद सदस्य प्रो.डॉ.रामनरेश सिंह ने कहा गुरु शिष्य परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसमें गुरु और शिष्य एक दूसरे के सानिध्य में रहकर ज्ञान अर्जित करते हैं। रमेश झा महिला कालेज प्रधानाचार्य डॉ.उषा सिंह ने कहा आज शिक्षा व्यवसाय का रूप ले लिया है। गुरुकुल में निःस्वार्थ भाव से शिक्षा दिया जाता था। ज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जानेवाले ही सच्चे गुरु होते हैं। प्रधानाचार्य प्रो.डॉ.पवन कुमार के द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। जिसमें उन्होंने कहा हमें गुरु शिष्य परंपरा को कायम रखना है। मिथिला में गुरु शिष्य परंपरा आदिकाल से कायम है। गुरु के बिना ज्ञान अधूरा ही रहता है। उन्होंने कहा माननीय के आने से एवं उनकी कृपा से महाविद्यालय का जल्द ही कायापलट होगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ.मयंक भार्गव के द्वारा एवं धन्यवाद भाषण डॉ.संजीव कुमार झा के द्वारा किया गया। डॉ.बिजली प्रकाश झा के निर्देशन में मनोरमा कुमारी, लिली कुमारी, गीतांजलि कुमारी, पल्लवी कुमारी, सलोनी कुमारी, रमन कुमार झा एवं अभिषेक कुमार मिश्रा के द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में एम एच एम कॉलेज प्रधानाचार्य डॉ.उपेंद्र पंडित, प्रो.डॉ. राज कुमार सिंह, डॉ.किशोर नाथ झा, प्रो.डॉ.रंजीत कुमार सिंह, डॉ.शिशिर कुमार मिश्रा, डॉ.अजय कुमार सिंह, डॉ.अजय कुमार दास, डॉ.कमलानंद झा, डॉ अशोक कुमार झा, डॉ अरविंद कुमार यादव, डॉ शिखा चौधरी, डॉ उदय कुमार, डॉ सुमन कुमार झा, डॉ बलवीर कुमार झा, डॉ अभिषेक नाथ, डॉ विवेक कुमार, डॉ प्रशांत कुमार मनोज, डॉ सतीश दास, डॉ जयंत कुमार ठाकुर, सुधांशु शेखर, डॉ संजीव कुमार, डॉ सुजाता कुमारी, डॉ वीणा कुमारी, डॉ दीप्ति कुमारी, डॉ.हर्षवर्धन, प्रियरंजन कुमार, के.डी.राम, आशुतोष कुमार सिंह, अमित सिंह, रिषी मिश्रा, अशोक कुमार, अंशु सिंह, शिवम कुमार सहित अन्य शामिल थे।