अररिया/प्रिंस (अन्ना राय) : अररिया अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम मनोज कुमार तिवारी की कोर्ट ने आठ महीने की गर्भवती पत्नी की हत्या मामले में पति को दोषी करार देते हुए सश्रम आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
वही, साथ ही कोर्ट ने जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर तीन महीने की अतिरिक्त सजा भुगतने का भी आदेश अपने न्याययिक निर्णय में दिया। वही, न्यायालय ने सत्र वाद संख्या – 193/2021 में यह फैसला सुनाया। दोषी अररिया के बैरगाछी वार्ड संख्या 10 मझुवा निवासी मो ताहा के 32 वर्षीय पुत्र मो अब्दुल है।
न्यायालय ने भादवि की धारा – 302 के अंतर्गत दोषी करार दिया। जबकि मुकदमा दहेज को लेकर की गई हत्या में भादवि की धारा -304(बी) के अंतर्गत किया गया था और न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी बताया कि दोषी का कृत्य दहेज हत्या की कोटि में नहीं आता है।
वही, मुकदमे के सूचक बैरगाछी वार्ड संख्या 6 पोखरिया टोला निवासी एजाबुल पिता – मसलेउद्दीन है।दर्ज कराए गए कांड में पिया एजाबुल ने बताया था कि बेटी रिजवाना का निकाह घटना के तीन साल पहले हुई थी और दोषी और उसके परिवार वाले दो लाख रुपये दहेज की मांग कर रहे थे।
इसी क्रम में सूचक को ग्रामीणों ने सूचना दी कि उनकी बेटी की हत्या कर दी गई है। जिसकी जानकारी प्राप्त होते ही, सूचक ने पुलिस प्रशासन को खबर किया। काफी खोजबीन के बाद उनकी मृतक बेटी रिजवाना की लाश नदी किनारे मिली,जो कि पुआल से ढकी हुयी थी। उसकी उसकी हत्या गला घोंटकर की गई थी,जबकि वह आठ महीने की गर्भवती थी।
वही, इस घटना को लेकर पीड़ित पिता ने अररिया थाने में अररिया थाना प्राथिमिकी कांड संख्या -913/2020 दर्ज कराई गई थी । उक्त दर्ज कराई गई प्राथमिकी में दोषी मोहम्मद अब्दुल के अलावा अन्य छह लोगों मोहम्मद ताहा, असद, अनसर, किस्मती, सब्दुल, असमती, पर मुकदमा दर्ज कराई गई थी ।
जिसका पूरक अनुसंधान लंबित है । सजा की बिंदु पर सुनवाई करते हुए लोक अभियोजक लक्ष्मी नारायण यादव ने न्यायालय को बताया कि दोषी ने एक साथ दो हत्या क अपनी क्रूरता का परिचय दिया और वह रियायत का हकदार नहीं है, बल्कि फांसी की सजा पाने का हकदार है। जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता मो.मोजाहिद हुसैन ने न्यायालय को बताया कि दोषी परिवार के जीविकोपार्जन का एक मात्र सदस्य हैं और सम्पूर्ण परिवार की जिम्मेदारी है । इसलिए कम से कम सजा सुनाई जाए ।